
भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि एटीएम अगर बैंक का है, तो उससे होने वाली किसी भी दुर्घटना के लिए बैंक ही जिम्मेदार होगा। आयोग ने बैंक के इस तर्क को खारिज कर दिया कि बाहरी व्यवस्था देखने वाली एजेंसी के कारण बैंक जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि एजेंसी भी बैंक द्वारा ही अधिकृत की गई है। इस फैसले के तहत, एटीएम का दरवाज़ा गिरने से घायल हुए एक उपभोक्ता को उपचार खर्च और मुआवजे के तौर पर बैंक को डेढ़ लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया है।
ग्राहक ने बैंक पर ठोका केस
पिछले वर्ष, ग्राहक संतोष कुमार श्रीवास्तव एटीएम से पैसे निकालने गए थे, जहाँ दरवाजा खोलते ही कांच की दीवार उन पर गिर गई। इस दुर्घटना से उनकी कलाई की नसें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं, जिसके उपचार पर ₹1.36 लाख खर्च हुए और उन्हें सात दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। इसके बाद, पीड़ित संतोष कुमार ने बैंक की लापरवाही के खिलाफ न्याय और मुआवज़े की मांग करते हुए, नवंबर 2024 में जिला उपभोक्ता आयोग में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के क्षेत्रीय प्रबंधक के विरुद्ध याचिका दायर की है।
एसबीआई को मुआवजा देने का आदेश
एक खाताधारक ने एटीएम में हुई दुर्घटना की शिकायत बैंक से की, लेकिन बैंक ने यह कहकर जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया कि एटीएम का प्रबंधन एक अलग एजेंसी (FSS) करती है। हालांकि, उपभोक्ता आयोग ने एसबीआई (SBI) के तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि उपभोक्ता बैंक का ग्राहक है। आयोग ने बैंक को निर्देश दिया कि वह ग्राहक के इलाज पर खर्च हुई पूरी राशि 7% वार्षिक ब्याज के साथ लौटाए, साथ ही मानसिक परेशानी के लिए ₹15,000 की क्षतिपूर्ति भी अदा करे।









