Tags

हाईकोर्ट का बड़ा आदेश ‘सीनियर को जूनियर से कम सैलरी नहीं दी जा सकती, जाने पूरा मामला

हाईकोर्ट ने वेतन असमानता पर एक ऐतिहासिक आदेश दिया है, जिसमें कहा गया है कि सीनियर कर्मचारियों को जूनियर से कम सैलरी नहीं दी जा सकती। यह फैसला PSPCL कर्मचारियों के मामले में आया है, लेकिन यह पंजाब-हरियाणा के सभी सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों के प्रमोटी कर्मचारियों के लिए एक मिसाल बनेगा। जानें क्या है यह पूरा मामला और इसके दूरगामी परिणाम।

By Pinki Negi

हाईकोर्ट का बड़ा आदेश ‘सीनियर को जूनियर से कम सैलरी नहीं दी जा सकती, जाने पूरा मामला
हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) के कर्मचारी रंजीत सिंह की याचिका को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने विभाग को निर्देश दिया है कि रंजीत सिंह का वेतन उनकी कनिष्ठ (जूनियर) सहयोगी के वेतन के बराबर ‘स्टेप-अप’ किया जाए। इस आदेश को वेतन विसंगति और सेवा न्याय के क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।

वरिष्ठ कर्मचारी का वेतन कनिष्ठ से कम क्यों?

रंजीत सिंह ने कोर्ट में दलील दी है कि वे 1982 में चपरासी के पद पर नियुक्त हुए थे और 1997 में एलडीसी बने। उनके वकील विकास चतरथ ने बताया कि लंबे समय तक उनका वेतन उनकी कनिष्ठ कर्मचारी, सीमा रानी, से अधिक था। हालांकि, सीमा रानी को 9 और 16 वर्ष की सेवा पूरी होने पर टाइम बाउंड प्रमोशनल स्केल्स (समयबद्ध पदोन्नति वेतनमान) मिलने के कारण उनका वेतन रंजीत सिंह से अधिक हो गया, जिससे वेतन विसंगति उत्पन्न हुई।

कोर्ट का फैसला

एक महत्वपूर्ण फैसले में, कोर्ट ने विभाग के इस तर्क को खारिज कर दिया कि एक प्रमोटी कर्मचारी सीधी भर्ती (Direct Recruit) वाले से वेतन में समानता नहीं मांग सकता। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने स्पष्ट किया कि वरिष्ठ कर्मचारी को किसी भी स्थिति में कनिष्ठ कर्मचारी से कम वेतन नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि विभाग द्वारा जारी किए गए परिपत्र संवैधानिक अधिकारों से ऊपर नहीं हो सकते, और वेतन में असमानता को दूर करना अनिवार्य है।

समान कैडर में वरिष्ठ को कनिष्ठ से कम वेतन देना असंवैधानिक

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि एक ही कैडर में वरिष्ठ और कनिष्ठ कर्मचारियों के बीच वेतन में समानता सुनिश्चित करना राज्य की ज़िम्मेदारी है। कोर्ट ने 17 जनवरी 2014 के विभागीय आदेश को मनमाना और भेदभावपूर्ण मानते हुए रद्द कर दिया। इसके बाद, पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PSPCL) को निर्देश दिया गया है कि वह रंजीत सिंह का वेतन सीमा रानी के बराबर ‘स्टेप-अप’ करे और उनकी सभी बकाया राशि का भुगतान तीन महीनों के भीतर करे।

कर्मचारियों के लिए ऐतिहासिक फैसला

यह हालिया फैसला न केवल पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PSPCL) के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि यह पंजाब और हरियाणा क्षेत्र के सभी सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) में काम कर रहे प्रमोटी कर्मचारियों के लिए भी एक अहम मिसाल साबित होगा। यह फैसला भविष्य में उनके हितों की रक्षा और पदोन्नति के मामलों में मार्गदर्शक का काम करेगा।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें