
देश में मकान, दुकान या किसी भी स्थायी निर्माण के मालिक को स्थानीय निकाय को हर साल एक शुल्क देना होता है, जिसे संपत्ति कर (Property Tax) कहते हैं। यह कर सड़कों की मरम्मत, पार्कों की देखभाल और स्वच्छता जैसे शहरी विकास कार्यों में इस्तेमाल होता है। हालांकि, ज्यादातर संपत्ति मालिकों को यह पता नहीं होता कि इस कर की सही गणना कैसे की जाती है और उन्हें कौन-कौन सी छूटें मिल सकती हैं। आइए जानते हैं कि आपके कर की राशि कैसे तय होती है और इसे कानूनी तरीके से कैसे कम किया जा सकता है।
संपत्ति कर (Property Tax) क्या है ?
स्थानीय नगर निगम या परिषद द्वारा एकत्र किया जाने वाला संपत्ति कर शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बहुत ज़रूरी है। जब आप यह शुल्क चुकाते हैं, तो आप वास्तव में अपने क्षेत्र के समग्र विकास में मदद करते हैं। इस राजस्व का उपयोग नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाने, पार्कों का रखरखाव करने और स्थानीय प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने में होता है। इसलिए, सभी संपत्ति मालिकों की जिम्मेदारी है कि वे समय पर कर चुकाकर अपने शहर के विकास में सहभागी बनें।
भारत में संपत्ति कर (Property Tax) गणना के मुख्य तरीके
भारत के अलग-अलग राज्यों में संपत्ति कर (Property Tax) की गणना के लिए दो मुख्य तरीके अपनाए जाते हैं। पहले तरीके में, जैसे दिल्ली और बेंगलुरु में, प्रति इकाई क्षेत्र का मूल्य आधार होता है, जिसमें निर्मित क्षेत्रफल को एक तय दर से गुणा किया जाता है। दूसरी विधि, जो मुंबई जैसे शहरों में लागू है, संपत्ति के बाज़ार मूल्य या सरकारी दिशा-निर्देशों में बताई गई कीमत को गणना का आधार मानती है।
संपत्ति कर (Property Tax) तय करने की तीसरी मुख्य विधि वार्षिक किराया मूल्य (Annual Rental Value) पर आधारित है। इस प्रणाली में, यह अनुमान लगाया जाता है कि संपत्ति से संभावित किराया आय कितनी हो सकती है। कर निर्धारित करते समय, भवन की स्थिति, आयु, स्थान और आकार जैसे महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में रखा जाता है। शहर अपनी स्थानीय ज़रूरतों के हिसाब से इस तरीके को या फिर इसे किसी अन्य विधि के साथ मिलाकर उपयोग करते हैं।
संपत्ति कर (Property Tax) तय करने वाले मुख्य कारक
संपत्ति कर की राशि कई महत्वपूर्ण बातों पर निर्भर करती है। इसमें सबसे पहले, यह देखा जाता है कि संपत्ति आवासीय है या व्यावसायिक (जिस पर आमतौर पर अधिक कर लगता है)। इसके अलावा, भवन की मंज़िल (नीचे की मंज़िलों पर अक्सर ज़्यादा), आकार, और शहर का स्तर (महानगर या छोटे शहर) भी मायने रखता है। यह भी देखा जाता है कि संपत्ति कितनी पुरानी है, उसका उपयोग स्वयं रहने के लिए हो रहा है या किराए पर दी गई है। अंत में, आपके नगरपालिका क्षेत्र द्वारा निर्धारित दरें ही अंतिम कर राशि को प्रभावित करती हैं।
संपत्ति कर (Property Tax) में छूट पाने के 7 मुख्य तरीके
संपत्ति कर में बचत करने के कई तरीके उपलब्ध हैं, जिनका लाभ उठाकर आप अपने कर को कम कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष से अधिक) और महिला संपत्ति स्वामियों को कर में विशेष रियायतें मिलती हैं। इसके अलावा, दिव्यांग व्यक्ति, सेवानिवृत्त रक्षा कर्मियों, और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए भी छूट का प्रावधान है। यदि आपका भवन केवल रहने के लिए इस्तेमाल हो रहा है और किराए पर नहीं दिया गया है, तो आपको कर में राहत मिल सकती है।
कुछ शहरों में ऊंची मंजिलों पर बने घरों के लिए कम दरें लागू होती हैं। यदि आप अपना पूरा वार्षिक कर एक साथ या समय से पहले जमा करते हैं, तो आपको 5 से 10 प्रतिशत तक की छूट मिल सकती है, और सौर ऊर्जा पैनल या वर्षा जल संचयन प्रणाली जैसे पर्यावरण अनुकूल निर्माण पर भी कर में छूट दी जाती है।









