
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा आदेश दिया है जिससे भूमि अधिग्रहण से प्रभावित हजारों लोगों को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने साफ कहा कि नेशनल हाईवे विस्तार जैसे सरकारी प्रोजेक्ट्स के लिए दी जाने वाली मुआवजा राशि पर इनकम टैक्स नहीं लगाया जा सकता। यानी अब सरकार या कोई एजेंसी ऐसे मामलों में TDS (Tax Deducted at Source) नहीं काट सकेगी।
सुप्रिया शेट्टी का मामला बना मिसाल
यह फैसला सुप्रिया एस. शेट्टी की याचिका से शुरू हुआ। सुप्रिया और उनके पति ने करीब 20 साल पहले तेनकुलिपाडी गांव में 17.5 एकड़ जमीन एक वेलनेस रिसॉर्ट विकसित करने के लिए खरीदी थी। लेकिन साल 2020 में उनके प्लान पर अचानक ब्रेक लग गया, क्योंकि नेशनल हाईवे-169 के चौड़ीकरण के लिए उनके कुछ हिस्से की जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया।
सरकार की ओर से मुआवजा तो दिया गया, लेकिन उस रकम में से 16 लाख रुपये से ज्यादा का TDS काट लिया गया। यह देखकर सुप्रिया ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने दावा किया कि यह कटौती पूरी तरह गलत और कानून के खिलाफ है।
कानून क्या कहता है?
भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामलों के लिए संसद ने RFCTLARR Act (Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act) बनाया है। इस कानून की धारा 96 में साफ लिखा है कि अधिग्रहण के मुआवजे पर इनकम टैक्स नहीं लगाया जा सकता। यानी यह राशि पूरी तरह टैक्स-फ्री मानी जाती है।
इसके बावजूद कई सरकारी एजेंसियां इस कानून की अनदेखी करते हुए मुआवजे से 10% TDS काट रही थीं। सुप्रिया के वकील ने कोर्ट में जोरदार दलील दी कि यह कदम संसद की मंशा के खिलाफ है और भूमि मालिकों पर अनुचित आर्थिक बोझ डालता है।
अदालत ने क्यों कहा ‘नहीं काट सकते TDS’
जस्टिस एस.आर. कृष्णकुमार की बेंच ने सुप्रिया के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि इससे पहले भी 2022 में इसी तरह के मामले में कोर्ट ने यही सिद्धांत स्थापित किया था कि RFCTLARR एक्ट के तहत मिलने वाले मुआवजे पर TDS नहीं लग सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी उस निर्णय पर रोक लगाने से इनकार किया था।
इसलिए अदालत ने माना कि अगर कोई जमीन सार्वजनिक उपयोग के लिए अधिग्रहित की जाती है, तो उस पर मिलने वाला मुआवजा व्यक्ति के नुकसान की पूर्ति के लिए है, न कि उसकी कमाई। इसलिए इस पर टैक्स लगाना या TDS काटना न केवल अनुचित है, बल्कि कानून की भावना के विपरीत भी है।
हजारों जमीन मालिकों को राहत
यह फैसला केवल सुप्रिया के लिए नहीं, बल्कि पूरे कर्नाटक और देशभर के उन हजारों भूमि मालिकों के लिए उम्मीद की किरण है, जिनकी जमीनें नेशनल हाईवे, रेलवे प्रोजेक्ट्स, पाइपलाइन या इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के लिए अधिग्रहित की जा रही हैं। ऐसे कई मामलों में अब तक मुआवजे पर मनमाने तरीके से टैक्स काटा गया था।
अब इस आदेश के बाद NH अथॉरिटी, KIADB और अन्य सरकारी संस्थाओं को इस दिशा में बदलाव लाना पड़ेगा। इससे किसानों, जमीन मालिकों और छोटे निवेशकों को बड़ी राहत मिलेगी, और उन्हें अपनी जमीन का मुआवजा पूरा मिल पाएगा।









