
बिहार के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आज एक बार फिर वही नज़ारा दिखा, जब भीड़ “नीतीश, नीतीश” के नारे लगा रही थी। नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक नया कीर्तिमान बना दिया। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक मंच पर मौजूद रहे, लेकिन जनता के बीच एक दिलचस्प सवाल गूंज उठा—अब नीतीश कुमार की पेंशन कितनी होगी?
सीएम बनने से नहीं बढ़ती पेंशन
ज्यादातर लोग सोचते हैं कि जितनी बार कोई नेता मुख्यमंत्री बनता है, उसकी पेंशन उतनी बार बढ़ती है। लेकिन हकीकत कुछ और है। भारत में मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद के लिए अलग से कोई पेंशन तय नहीं होती। पेंशन का आधार केवल एक ही चीज़ है—विधायक या सांसद के रूप में कुल सेवाकाल।
बिहार में किसी भी विधायक को न्यूनतम 45,000 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलती है। हर अतिरिक्त साल पर 4,000 रुपए की बढ़ोतरी होती है। यानी जिसने जितने अधिक साल पब्लिक सर्विस में बिताए, उसकी पेंशन उतनी बढ़ती जाएगी।
नीतीश कुमार की अनुमानित पेंशन कितनी?
नीतीश कुमार ने अपना राजनीतिक जीवन चार दशकों से भी ज्यादा वक्त से जारी रखा है। 1985 में पहली बार विधायक बनने के बाद वे कई बार सांसद और फिर मुख्यमंत्री बने। सांसद के रूप में उनकी न्यूनतम पेंशन करीब 31,000 रुपए से शुरू होती है और हर वर्ष 2,500 रुपए की वृद्धि मिलती है। वहीं, चार दशक के विधायी कार्यकाल के आधार पर उनकी एमएलए पेंशन करीब 2,01,000 रुपए के आसपास बनती है। इन दोनों को जोड़ने पर अनुमानित कुल पेंशन लगभग 2.69 लाख रुपए प्रति माह बैठती है, जो उनकी वर्तमान सीएम सैलरी (करीब 2.50 लाख रुपए) से भी अधिक है।
राज्यों में विधायकों की सैलरी में बड़ा फर्क
भारत के अलग-अलग राज्यों में विधायकों की सैलरी काफी अलग-अलग है। तेलंगाना में विधायक की सैलरी सबसे अधिक यानी 2.50 लाख रुपए है। दिल्ली में यह 2.25 लाख, महाराष्ट्र में 2 लाख, उत्तर प्रदेश में 1.87 लाख, जबकि बिहार और कर्नाटक में 1.60 लाख रुपए है। वहीं, केरल इस लिस्ट में सबसे नीचे है, जहां विधायक को सिर्फ 70 हजार रुपए मासिक मिलते हैं।









