
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। हाल ही में केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के Terms of Reference (ToR) को मंजूरी दी थी, लेकिन अब कर्मचारी संगठनों ने इस पर आपत्तियां जताते हुए बदलाव की मांग की है। इन संगठनों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी चिंताएं साझा की हैं।
कर्मचारी संगठनों की आपत्तियां क्या हैं
‘कॉन्फेडेरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉईज एंड वर्कर्स’ सहित कई संगठनों का कहना है कि मौजूदा ToR में कुछ शब्द ऐसे हैं, जो कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के हितों को कमजोर कर सकते हैं। खासकर “unfunded cost of non-contributory pension schemes” वाले वाक्य को लेकर नाराजगी है। संगठनों का तर्क है कि इस तरह की भाषा से यह संदेश जाता है कि पेंशन सरकार के लिए एक बोझ है, जबकि यह कर्मचारियों का हक है, न कि दया।
पेंशनभोगियों को स्पष्ट रूप से शामिल करने की मांग
कर्मचारी संगठनों ने यह भी मांग की है कि पेंशनभोगियों को 8th Pay Commission के दायरे में स्पष्ट रूप से शामिल किया जाए। उनका कहना है कि पेंशनधारकों ने अपनी पूरी सेवा के दौरान देश के लिए काम किया है, इसलिए वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ उन्हें भी समान रूप से मिलना चाहिए।
लागू होने की तारीख पर असमंजस
मौजूदा ToR में 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की कोई निश्चित तारीख निर्धारित नहीं की गई है। यही कारण है कि संगठनों ने सरकार से मांग की है कि इसे 1 जनवरी 2026 से लागू किया जाए—ठीक वैसे ही जैसे पिछले वेतन आयोगों में हुआ था। कर्मचारियों का कहना है कि अगर तारीख तय नहीं हुई, तो सिफारिशों के अमल में देरी हो सकती है।
अंतरिम राहत की भी उठी मांग
संगठनों ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि जब तक आयोग की रिपोर्ट और सिफारिशें लागू नहीं होतीं, तब तक कर्मचारियों को कम से कम 20 प्रतिशत की अंतरिम राहत (Interim Relief) दी जाए। इससे बढ़ती महंगाई के बीच कर्मचारियों को अस्थायी राहत मिलेगी।
सरकार का रुख क्या है
फिलहाल सरकार की ओर से ToR में किसी बदलाव की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। ये केवल कर्मचारी संगठनों की ओर से रखी गई मांगें हैं। अब देखना यह है कि क्या वित्त मंत्रालय इन सुझावों पर विचार करता है या मौजूदा रूपरेखा को बरकरार रखता है।









