
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने मंगलवार, 18 नवंबर 2025 को कहा कि लोगों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा देने के लिए अनिवार्य पेंशन की वर्तमान ₹15,000 की वेतन सीमा (Salary Limit) पर दोबारा विचार करना ज़रूरी है। उन्होंने बताया कि निजी क्षेत्र (Private Sector) में बहुत से कर्मचारी ₹15,000 से ज़्यादा कमाते हैं, लेकिन इस सीमा के कारण उन्हें पेंशन सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे कर्मचारियों को बुढ़ापे में बच्चों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो एक गंभीर समस्या है। इसलिए, यह सीमा बढ़ाना समय की मांग है।
EPF रजिस्ट्रेशन नियमों में बदलाव की तैयारी
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार, ईपीएफ़ओ (EPFO) में रजिस्ट्रेशन के मौजूदा नियमों में बदलाव की संभावना है। वर्तमान में, ₹15,000 प्रति माह से कम कमाने वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफ़ में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, लेकिन इससे ज़्यादा कमाने वालों के लिए यह ज़रूरी नहीं है। ईपीएफ़ओ के अधिकारी नागराजू ने इसे एक विसंगति बताया है। सरकार का मुख्य लक्ष्य इस नियम को बदलकर ज़्यादा से ज़्यादा कर्मचारियों को संगठित रूप से पेंशन योजनाओं (जैसे ईपीएस) के दायरे में लाना है।
अटल पेंशन योजना (APY) में जुड़े 8.3 करोड़ लोग
सरकार द्वारा समर्थित अटल पेंशन योजना (APY) से अब तक कुल 8.3 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं, जिनमें से लगभग 48% महिलाएँ हैं। सरकार ने बताया है कि वह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों सहित अधिक से अधिक लोगों को भविष्य में भी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में लाने के अपने प्रयासों को जारी रखेगी ताकि ज़्यादा लोगों को बुढ़ापे में वित्तीय सुरक्षा मिल सके।
युवा पीढ़ी (Gen Z) के रिटायरमेंट की चिंता
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) के सदस्य (जीवन बीमा), स्वामीनाथन एस अय्यर ने चिंता व्यक्त की है कि जिस तरह से उपभोक्तावाद (Consumerism) बढ़ रहा है, उसे देखते हुए यह सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है कि आज की युवा पीढ़ी (Gen Z) के पास 30 साल बाद अपने रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त पैसा हो। उनका मानना है कि वर्तमान खर्च करने की आदतों के बीच भविष्य की पीढ़ी के लिए पर्याप्त बचत एक चिंता का विषय है।
भारत में जीवन बीमा कवरेज की स्थिति
जीवन बीमा (Life Insurance) क्षेत्र के विशेषज्ञ अय्यर के अनुसार, देश में दो-तिहाई से ज़्यादा लोगों के पास अभी भी जीवन बीमा नहीं है। उन्होंने बताया कि 25 साल पहले बीमा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने का मुख्य लक्ष्य इस उद्योग को मज़बूत करना था। हालाँकि, आज भी बीमा कंपनियों का लगभग 85% कारोबार केवल शहरी क्षेत्रों से आता है, जबकि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में बीमा कवरेज बहुत कम है। यह आँकड़ा ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा पहुँच बढ़ाने की ज़रूरत को दर्शाता है।









