
ट्रेन से यात्रा करते समय कई बार ऐसा होता है कि प्लेटफ़ॉर्म में अचानक बदलाव होने या इसकी जानकारी देर से मिलने के कारण आपकी कंफर्म टिकट वाली ट्रेन छूट जाती है। आमतौर पर लोग सोचते हैं कि अब टिकट का पैसा डूब गया, लेकिन रेलवे के नियमों के अनुसार, यदि गलती रेलवे की है (जैसे प्लेटफॉर्म का अचानक बदलना), तो यात्री को पूरा किराया वापस (रिफंड) मिल सकता है। इसके लिए ज़रूरी है कि आपको रिफंड पाने की सही प्रक्रिया पता हो।
रेलवे की गलती पर पूरा रिफंड
भारतीय रेलवे के नियमों के अनुसार, अगर आप ट्रेन के निर्धारित समय (जैसे सुबह 5 बजे की ट्रेन के लिए 4:55 बजे पर प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँच जाते हैं, तो आपको समय पर माना जाता है। ऐसे में, यदि ट्रेन समय से पहले ही छूट जाए या बिना किसी सूचना के अचानक प्लेटफ़ॉर्म बदल दे जिसके कारण आपकी ट्रेन छूट जाए, तो इसे रेलवे की गलती माना जाता है। इन स्थितियों में, यात्री को शिकायत करने पर पूरा टिकट रिफंड या उचित मुआवजा पाने का अधिकार होता है।
रेलवे रिफंड या मुआवजा कब देता है?
रेलवे यात्रियों को मुख्य रूप से तीन स्थितियों में रिफंड या मुआवजा देता है, जब गलती रेलवे की हो:
- समय से पहले ट्रेन का छूटना: यदि यात्री ट्रेन के निर्धारित समय पर स्टेशन पहुँच गया हो, लेकिन ट्रेन तय समय से पहले ही प्लेटफ़ॉर्म छोड़ दे।
- समय बदलाव की सूचना न मिलना: ऑनलाइन टिकट बुक होने के बावजूद, ट्रेन के समय में बदलाव होने की जानकारी यात्री को SMS या ईमेल के ज़रिए न मिले।
- अचानक प्लेटफ़ॉर्म बदलना: बिना किसी घोषणा के ट्रेन को अचानक दूसरे प्लेटफ़ॉर्म पर भेज दिया जाए, और जानकारी न मिलने के कारण यात्री ट्रेन न पकड़ पाए।
ऐसी सभी स्थितियों में, आप रिफंड या मुआवजे के लिए 139 हेल्पलाइन पर कॉल करके या railmadad.indianrailways.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
रिफंड के लिए TDR है ज़रूरी
प्लेटफ़ॉर्म बदलने के कारण ट्रेन छूट जाने पर, यात्री को गुस्से में आकर टिकट फेंकना नहीं चाहिए, बल्कि रिफंड क्लेम करने के लिए TDR (टिकट डिपॉजिट रिसिप्ट) भरना चाहिए। TDR यह साबित करता है कि आपने यात्रा नहीं की है और आप रिफंड चाहते हैं।
- ऑनलाइन टिकट: यात्री IRCTC वेबसाइट या ऐप पर ‘माय बुकिंग’ (My Booking) सेक्शन में जाकर TDR फाइल कर सकते हैं।
- काउंटर टिकट: यात्री स्टेशन के रिजर्वेशन ऑफिस में जाकर TDR फॉर्म भर सकते हैं।
यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद, रिफंड आमतौर पर 7 से 21 दिनों के भीतर यात्री के खाते में जमा हो जाता है, हालांकि कुछ मामलों में यह 3-4 दिनों में भी मिल जाता है।









