
आज के समय में जहाँ सोशल मीडिया हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा है, वहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के कारण डीपफेक वीडियो का खतरा बहुत बढ़ गया है। डीपफेक नकली वीडियो होते हैं जो इतने असली दिखते हैं कि असली और नकली में फ़र्क करना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
चाहे वह किसी नेता का अजीब बयान हो या किसी सेलिब्रिटी का चौंकाने वाला वीडियो, हमें तुरंत यकीन हो जाता है। इसलिए यह जानना ज़रूरी है कि जो वीडियो आप देख रहे हैं, वह AI द्वारा बनाया गया है या असली है। थोड़ी सी सावधानी और कुछ आसान तरीक़ों को अपनाकर आप डीपफेक वीडियो की पहचान आसानी से कर सकते हैं।
AI वीडियो को पहचानने का तरीका
चेहरे के हावभाव (Facial Expressions)
यह पता लगाने के लिए कि कोई वीडियो AI द्वारा बनाया गया है या नहीं, आपको चेहरे के हावभाव (Facial Expressions) पर बारीकी से ध्यान देना चाहिए। भले ही AI अब काफी उन्नत हो गया है, लेकिन यह अक्सर छोटे-छोटे एक्सप्रेशन में गड़बड़ी कर देता है। जैसे, चेहरे की मुस्कान अनैचुरल लग सकती है, होंठों का हिलना (लिप-सिंक) आवाज़ से ठीक से मेल नहीं खाता, या फिर भौंहों, गालों और ठोड़ी की हरकतें थोड़ी अजीब या अनियमित लग सकती हैं। जबकि असली इंसान के चेहरे की मूवमेंट पूरी तरह से प्राकृतिक होती है, AI-जनरेटेड वीडियो में अक्सर कुछ कठोरता दिखाई दे जाती है।
आंखों की मूवमेंट से AI वीडियो को पहचानें
AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से बने वीडियो को पहचानने का सबसे बड़ा संकेत आँखों की मूवमेंट होती है, क्योंकि AI इन्हें अभी भी पूरी तरह से प्राकृतिक नहीं बना पाता है। AI-जनरेटेड वीडियो में अक्सर आँखें या तो बहुत कम झपकती हैं या फिर बहुत तेज़ झपकती हैं। इसके अलावा, आँखों की पुतलियों की दिशा अचानक से बदल सकती है, या फिर आँखों में सामान्य प्राकृतिक चमक की कमी दिखाई दे सकती है।
लाइटिंग और शैडो
किसी वीडियो के AI-जनरेटेड होने का पता लगाने का एक सबसे आसान तरीका उसकी लाइटिंग और शैडो (छाया) को चेक करना है। असली वीडियो में रोशनी और परछाइयाँ चेहरे, कपड़े और बैकग्राउंड पर स्वाभाविक रूप से पड़ती हैं, लेकिन AI वीडियो में अक्सर यह मेल नहीं खाता। AI वीडियो में चेहरे पर पड़ने वाली लाइट कई बार बाकी फ्रेम से अलग दिखती है, और कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे छाया एक दिशा से आ रही है जबकि रोशनी किसी और दिशा से आ रही है। अगर अलग-अलग शॉट्स में चेहरे की चमक अचानक बदल जाए, तो यह AI की एक आम गलती हो सकती है।
वीडियो को पॉज करके AI जनरेशन पहचानें
AI से बने वीडियो को पहचानने का एक आसान तरीका है कि आप वीडियो को पॉज करके हर फ्रेम को ध्यान से देखें। अक्सर, AI जनरेटेड वीडियो में छोटे-छोटे दोष (गड़बड़ियाँ) रह जाती हैं, जैसे चेहरे के किनारों पर धुंधलापन, बालों का अजीब तरह से मिलना, या बैकग्राउंड में कोई ग्लिच दिखना। इसके अलावा, अगर आँखों या दाँतों का आकार अचानक बदल जाए, या एक फ्रेम से दूसरे फ्रेम में चीजें असंगत (Inconsistent) दिखें, तो यह संकेत है कि वीडियो नकली (फेक) हो सकता है।
AI आवाज़ों को पहचानने के लिए टोन और गति पर ध्यान दें
AI द्वारा जनरेट की गई आवाज़ें अक्सर बहुत ज़्यादा परफेक्ट, मशीन जैसी, और भावनाओं (Emotions) से रहित लगती हैं। इनमें आवाज का उतार-चढ़ाव लगभग एक जैसा रहता है, बोलने की गति (स्पीड) बहुत स्मूथ या अत्यधिक साफ हो सकती है, और बैकग्राउंड की आवाज़ें नकली महसूस हो सकती हैं। इसके विपरीत, एक असली इंसान की आवाज़ में हमेशा भावनात्मक परिवर्तन और प्राकृतिक उतार-चढ़ाव मौजूद होते हैं।
फोटो/वीडियो के बैकग्राउंड की जाँच करें
किसी भी फोटो या वीडियो के AI जनरेटेड होने का पता लगाने का एक आसान तरीका उसके बैकग्राउंड को ध्यान से देखना है। AI अक्सर बैकग्राउंड को या तो बहुत ज़्यादा साफ और कृत्रिम (Perfect) बना देता है, या फिर कुछ चीजों को धुंधला और टूटी-फूटी (Blured and Broken) दिखाता है। यदि आपको बैकग्राउंड में पेड़, दीवार या कोई वस्तु अधूरी या अस्वाभाविक लगे, तो संभावना है कि वह AI द्वारा बनाई गई है, क्योंकि असली कैमरे द्वारा कैप्चर किए गए फोटो या वीडियो का बैकग्राउंड स्वाभाविक होता है।
उंगलियां, कान और आंखें की पहचान
AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) द्वारा बनाई गई तस्वीरों या वीडियो को पहचानने का सबसे आसान तरीका यह है कि आप शरीर के हिस्सों पर ध्यान दें। अक्सर AI जनरेटेड कंटेंट में उंगलियां या तो ज़्यादा या कम दिखती हैं, साथ ही कानों का आकार गलत हो सकता है या आंखें बिल्कुल बराबर नहीं होतीं। यदि आपको इन बारीक डिटेल्स में थोड़ी भी गड़बड़ी या असामान्य बनावट दिखाई दे, तो समझ लीजिए कि वह वीडियो या फोटो नकली (यानी AI द्वारा बनाया गया) हो सकता है।
वीडियो/फोटो की सच्चाई जानने के लिए उपयोगी टूल्स
किसी भी वायरल वीडियो या फोटो की सच्चाई और उसका असली स्रोत (Source) जानने के लिए आप गूगल रिवर्स इमेज सर्च और कुछ खास टूल्स का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए सबसे आसान तरीका Google Lens का है, जहाँ आप फोटो या स्क्रीनशॉट अपलोड करके उसका मूल स्रोत खोज सकते हैं। इसके अलावा, InVID जैसा एक भरोसेमंद टूल भी है, जो वायरल वीडियो की जाँच करने में मदद करता है। इन टूल्स की मदद से आप तुरंत पता लगा सकते हैं कि वीडियो या फोटो असली है, पुराना है या फिर एडिट किया गया है।
AI कंटेंट को पहचानने वाले टूल्स का उपयोग करें
आजकल, यह पता लगाने के लिए कि कोई फोटो, वीडियो, लेख या ऑडियो AI द्वारा बनाया गया है या नहीं, आप AI-डिटेक्शन टूल्स की मदद ले सकते हैं। ये खास वेबसाइटें कंटेंट को स्कैन करके बताती हैं कि वह AI-जनरेटेड है या नहीं। इसके लिए AI or Not, GPTZero, ZeroGPT, QuillBot Detector और TheHive AI Detector जैसे कई उपयोगी टूल्स मौजूद हैं। आपको बस अपना कंटेंट इन टूल्स पर अपलोड करना होता है, और वे बता देते हैं कि वह सामग्री कितने प्रतिशत AI द्वारा तैयार की गई है।









