
साल 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का उद्देश्य युवाओं को रोजगार योग्य कौशल सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था, और अब तक इससे एक करोड़ से ज़्यादा लोगों को फायदा हुआ है। हालांकि, इस योजना से जुड़ी एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है: कौशल विकास मंत्रालय ने हाल ही में 178 प्रशिक्षण भागीदारों और प्रशिक्षण केंद्रों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है।
फर्जीवाड़े के चलते प्रशिक्षण केंद्रों पर कार्रवाई
जांच में यह सामने आया कि ब्लैकलिस्ट किए गए कई प्रशिक्षण केंद्रों में फर्जी उपस्थिति (Fake Attendance), नकली दस्तावेज़ और गैर-मौजूद प्रशिक्षण केंद्रों के नाम पर सरकारी फंड की हेराफेरी की गई थी। मंत्रालय ने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए इन संस्थानों से पैसे की वसूली शुरू कर दी है, और साथ ही दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी चल रही है। अब यह पता लगाया जा रहा है कि इन घपला करने वालों को कितनी सज़ा मिलेगी और उनसे वसूली की प्रक्रिया क्या होगी।
ब्लैकलिस्ट होने का कारण, कौशल केंद्रों में धांधली
कौशल विकास मंत्रालय और नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NSDC) ने लगातार निरीक्षण और ऑडिट के बाद प्रशिक्षण केंद्रों में कई अनियमितताओं का पता लगाया। मुख्य समस्या यह थी कि कुछ केंद्रों ने ऐसे छात्रों की फर्जी उपस्थिति दिखाई जो कक्षाओं में नहीं थे, और कई प्रशिक्षण भागीदारों (TP) ने फर्जी बिल बनाकर सरकारी फंड निकाला। इतना ही नहीं, कुछ केंद्र तो केवल कागज़ों पर ही चल रहे थे। इन धांधलियों के कारण ही उन पर सख्त कार्रवाई की गई है।
प्रशिक्षण केंद्रों पर कार्रवाई
कौशल विकास मंत्रालय ने बताया कि ब्लैकलिस्ट किए गए प्रशिक्षण केंद्रों के खिलाफ गड़बड़ियों के चलते पहले ही कई एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। ब्लैकलिस्ट किए गए केंद्रों की सूची में सबसे ज़्यादा नाम उत्तर प्रदेश के हैं, जिसके बाद दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान का स्थान आता है। मंत्रालय ने सभी राज्यों के मिशन प्रमुखों को कड़े निर्देश दिए हैं कि भविष्य में किसी भी सरकारी कौशल योजना के लिए प्रस्ताव स्वीकार करने से पहले पूरी जाँच करना अनिवार्य होगा।
धोखाधड़ी रोकने के लिए सख्त कार्रवाई और निगरानी
कौशल विकास मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि योजना का गलत इस्तेमाल करने वाले ब्लैकलिस्ट किए गए संस्थानों से दिए गए सभी भुगतानों की वसूली की जाएगी और उनके खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज किए जाएंगे। इसके साथ ही, मंत्रालय ने भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए एक कड़ा कदम उठाया है: अब सभी प्रशिक्षण केंद्रों की फिजिकल और डिजिटल निगरानी की जाएगी। जो संस्थान दोबारा नियमों का उल्लंघन करते पाए जाएंगे, उन्हें हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट करके बंद कर दिया जाएगा।








