
हमारे समाज में मासिक धर्म (Periods) एक बहुत ही निजी (Private) विषय माना जाता है, जिस पर खुलकर बात करना आम नहीं है। इसलिए, कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि अगर कोई पुरुष या महिला किसी लड़की या महिला से उसके पीरियड्स की तारीख पूछ ले, तो क्या यह कानूनी रूप से कोई अपराध है और इसके लिए सज़ा मिल सकती है? भारत में इस तरह के सवाल की कानूनी स्थिति को समझना और इसके सामाजिक पहलू को जानना बहुत ज़रूरी है।
पीरियड्स की तारीख पूछना अपराध
भारत में केवल पीरियड्स की तारीख पूछना अपने आप में कोई सीधा अपराध नहीं है। अगर यह सवाल स्वास्थ्य, देखभाल या पेशेवर उद्देश्य (जैसे डॉक्टर, परिवारजन) से पूछा जाता है, तो यह पूरी तरह वैध है। हालांकि, यह सवाल तब कानूनी दायरे में आ सकता है जब इसका इरादा मज़ाक उड़ाना, अपमानित करना या महिला की प्राइवेसी भंग करना हो। ऐसे गलत इरादों से पूछे गए सवाल को महिला की गरिमा और निजता (Privacy) का उल्लंघन माना जा सकता है।
कानूनी कार्रवाई की संभावना और सज़ा
यह प्रश्न कि “कितनी सज़ा मिल सकती है?” अपने आप में अपराध नहीं है, लेकिन यह ज़रूरी है कि आप सावधान रहें। जिस संदर्भ या परिस्थितियों में आप यह सवाल पूछ रहे हैं, उनके आधार पर यह कानूनी कार्रवाई के दायरे में आ सकता है। इसलिए, किसी भी संभावित अवैध गतिविधि या उससे जुड़ी जानकारी के बारे में सवाल पूछने से पहले कानूनी परिणाम को समझना आवश्यक है।
यौन उत्पीड़न की परिभाषा
कार्यस्थल पर अगर कोई सहकर्मी किसी महिला के मासिक धर्म (Periods) या अन्य व्यक्तिगत, निजी मुद्दों के बारे में बार-बार सवाल करता है या उन पर टिप्पणी करता है, तो इसे यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) माना जा सकता है।
कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामलों में ‘Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013’ के तहत कानूनी कार्रवाई की जाती है। यदि कोई व्यक्ति इस कानून के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे कड़ी सज़ा दी जा सकती है, जिसमें उसे नौकरी से निकाला जाना भी शामिल है।
महिला को शर्मिंदा या अपमानित करना एक अपराध
अगर कोई व्यक्ति भीड़ में या सोशल मीडिया पर किसी महिला से ऐसा सवाल पूछता है जिसका मकसद उसे शर्मिंदा या अपमानित करना हो, तो इसे महिला की मर्यादा भंग करने का गंभीर अपराध माना जाता है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत इस अपराध के लिए 1 साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों की सज़ा हो सकती है। यह कानून महिलाओं के सम्मान की रक्षा करता है।








