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ज़मीन विवाद खत्म! रजिस्ट्री होने के बाद भी मालिकाना हक हो सकता है खारिज, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति विवादों पर बड़ा फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि केवल रजिस्ट्री होना मालिकाना हक साबित नहीं करता। असली हक तभी माना जाएगा जब वैध टाइटल, असली दस्तावेज़ और जमीन पर कानूनी कब्जे का प्रमाण मौजूद हो। कोर्ट ने फर्जी और डुप्लिकेट प्रॉपर्टी पेपर्स पर सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं, जिससे खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी।

By Pinki Negi

भारत में प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद अक्सर सालों तक चलते हैं। कई लोग लाखों रुपये खर्च कर रजिस्ट्री करवाते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि असली मालिकाना हक किसी और के पास है या पुराने रिकॉर्ड में गड़बड़ी है। ऐसे मामले इतने बढ़ गए थे कि सुप्रीम कोर्ट को अब इस पर स्पष्ट और बड़ा फैसला देना पड़ा। जी हाँ, संपत्ति से जुड़े वाद-विवाद के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लिया है, जिससे भविष्य में जमीन रजिस्ट्री से जुडी कामों में अधिक पारदर्शिता बनाई जा सकेगी।

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सिर्फ रजिस्ट्री कराना काफी नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि सिर्फ प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन होने से कोई मालिक नहीं बन जाता। इसका मतलब यह है कि रजिस्ट्री केवल एक दस्तावेज है, लेकिन असली मालिकाना हक साबित करने के लिए तीन चीजें जरूरी हैं:

  1. वैध और असली टाइटल डॉक्यूमेंट्स
  2. जमीन पर वास्तविक कब्जे का प्रमाण
  3. कानूनी रूप से प्रमाणित रिकॉर्ड

अगर इनमें से कोई कमी पाई गई, तो रजिस्ट्री कराने के बावजूद भी आपका दावा कमजोर पड़ सकता है।

फर्जी दस्तावेज़ों पर अब होगी कड़ी कार्रवाई

कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया है कि प्रॉपर्टी से जुड़े फर्जी, डुप्लिकेट और मैनिप्युलेटेड डॉक्यूमेंट्स पर सख्त कार्रवाई की जाए। कई राज्यों में फर्जीवाड़े के कारण एक ही जमीन की कई रजिस्ट्रियां हो जाती हैं या नकली दस्तावेज़ बनाकर लोग दावा करने लगते हैं। अदालत ने इस पर पूरी तरह रोक लगाने के आदेश दिए हैं।

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अब आएगा यूनिफाइड डिजिटल सिस्टम

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को एक यूनिफाइएड डिजिटल रजिस्ट्रेशन सिस्टम लागू करने का सुझाव दिया है, ताकि पूरे देश में एक ही प्लेटफॉर्म पर प्रॉपर्टी रिकॉर्ड उपलब्ध हो सकें। इससे आमतौर पर होने वाली फर्जी रजिस्ट्री, गलत नाम दर्ज होना, पुराने रिकॉर्ड का मिसमैच जैसी समस्याएं काफी हद तक खत्म हो जाएंगी। यह कदम घर खरीदने वाले लोगों को डायरेक्ट बेनिफिट देगा।

यह फैसला उन खरीदारों के लिए बेहद राहतकारी साबित होगा जो पहली बार घर या जमीन खरीदते हैं और धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। कोर्ट के फैसले के बाद अब किसी तीसरे व्यक्ति के फर्जी दावे रोक सकेंगे, इसके साथ ही असली मालिक को कानूनी सुरक्षा मिलेगी और टाइटल क्लियरेंस और वेरिफिकेशन भी आसान होगा

क्यों है यह फैसला इतना जरूरी?

भारत में प्रॉपर्टी विवाद अक्सर अधूरे पेपरवर्क, खराब रिकॉर्ड मैनेजमेंट और फर्जी दस्तावेजों की वजह से पैदा होते हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम पूरे सिस्टम को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है। आगे चलकर जब डिजिटल रजिस्ट्रेशन और क्लियर टाइटल सिस्टम मजबूत होगा, तो जमीन-जायदाद से जुड़े अधिकतर धोखे और विवाद बड़ी हद तक खत्म हो सकते हैं।

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Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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