
हिमाचल प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में तंबाकू और निकोटिन वाले खाद्य उत्पादों के निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री पर एक वर्ष के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स रेगुलेशन 2011 का हवाला देते हुए अधिसूचना जारी की गई है। राज्य में इस प्रतिबंध को लेकर जारी अधिसूचना के अनुसार रोक की अवधि के दौरान कोई भी व्यक्ति, व्यापारी या निर्माता तंबाकू और निकोटिन युक्त खाद्य उत्पादों का उत्पादन भंडारण, बिक्री या वितरण नहीं कर सकेगा।
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तंबाकू और निकोटिन वाले खाद्य उत्पादों पर प्रतिबंध
सरकार द्वारा तंबाकू और निकोटिन जैसे खाद्य उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के बाद अधिसूचना के अनुसार नियमों का उल्लंघन करने पर एक से पांच वर्ष तक की कैद और आर्थिक धनद का भी प्रावधान है। यह सजा फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 की संबंधित धाराओं के तहत दी जाएगी। बता दें राज्य में इससे पहले भी इन उत्पादों पर अस्थाई रोक लगाईं गई थी। हालाँकि इस बार सरकार ने दोबारा इसपर रोक लगाने का निर्णय लिया है।
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इससे अब गुटखा, खैनी, जर्दा, पान मसाला, मावा, सुगंधित सुपारी जैसे उत्पाद जिनमें तंबाकू या निकोटिन का उपयोग किया जाता है, इनपर प्रतिबंध रहेगा। प्रदेश में इससे पहले भी इन उत्पादों पर अस्थाई रोक लगाईं गई थी, लेकिन इस बार राज्य सरकार ने इसे और सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है।
क्या है सरकार का उद्देश्य?
सरकार की और से रोक का यह फैसला लोगों को नशामुक्त बनाने और सावजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के प्रति जागरकता बढ़ाने के लिए लिया गया है। इन उत्पादों का सेवन कैंसर, श्वसन समस्याएं, ह्रदय रोग और कई गंभीर बीमारियों का ख़तरा बढ़ता है। जिसके चलते सरकार ने नियमों की सख्ती से लागू करने समेत कार्रवाई की जिम्मेदारी खाद्य सुरक्षा आयुक्त को दी है, उन्हें सभी जिलों में नियमित निरिक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं।
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