
असम में घुसपैठियों का सवाल लंबे समय से भावनात्मक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर बेहद संवेदनशील विषय रहा है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में यह मुद्दा फिर से जोर पकड़ चुका है और इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा खुद सबसे आगे हैं। दोनों नेताओं ने खुलकर कहा है कि असम और देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे में चलिए जानते हैं क्या रहा पीएम मोदी का इस मुद्दे पर संदेश और असम सरकार की कार्रवाई से जुडी पूरी जानकारी।
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पीएम मोदी का सख्त संदेश
हाल की सभाओं में प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर बेहद कड़ा रुख दिखाया। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष, खासकर कांग्रेस, ने वोट बैंक की राजनीति के लिए घुसपैठियों को न सिर्फ संरक्षण दिया बल्कि उन्हें जमीन और पहचान तक दिलाई, जिससे असम का डेमोग्राफिक बैलेंस बुरी तरह प्रभावित हुआ। मोदी जी ने स्पष्ट कहा है की हमारी सरकार घुसपैठियों को खोजकर निकालेगी और उन्हें वापस भेजेगी। देश की सुरक्षा के साथ राजनीति नहीं होने दी जाएगी।
असम सरकार की कार्रवाई
सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने भी कई बार दोहराया है कि राज्य सरकार घुसपैठियों पर किसी तरह की नरमी नहीं बरतेगी। सरमा के मुताबिक, कई संदिग्ध लोगों को जांच के बाद वापस भेजा जा चुका है और यह अभियान आगे भी चलता रहेगा।
नया SOP और तेज़ निष्कासन प्रक्रिया
असम सरकार ने हाल ही में Immigrants Expulsion from Assam Act, 1950 के तहत नई S.O.P. (Standard Operating Procedure) को मंजूरी दी है। इस SOP के तहत:
- ज़िले के उपायुक्त को संदिग्ध व्यक्ति को नोटिस देने का अधिकार
- 10 दिनों के भीतर नागरिकता साबित करनी होगी
- विदेशी पाए जाने पर तत्काल expulsion order जारी किया जाएगा
इससे पहले जहां प्रक्रिया लंबी और जटिल थी, अब सरकार का दावा है कि यह सिस्टम तेज़ और प्रभावी होगा।
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NRC पर फिर से उठे सवाल
असम में NRC प्रक्रिया पूरी हुई, और करीब 19 लाख लोग अंतिम सूची से बाहर हो गए।
लेकिन सीएम सरमा ने कहा है कि—
- NRC नागरिकता का पूर्ण प्रमाण नहीं है
- सूची में भी गलतियां हो सकती हैं
- सरकार अपनी स्वतंत्र जांच के आधार पर कदम उठाएगी
Demographic Mission की चर्चा
पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में “Demographic Mission” का भी जिक्र किया। इसका उद्देश्य है सीमावर्ती इलाकों में तेजी से बदल रहे जनसांख्यिकीय ढांचे को संतुलित करना, ताकि स्थानीय संस्कृति, पहचान और भू-राजनीतिक सुरक्षा को खतरा न हो।
राजनीतिक माहौल और बढ़ती बहस
पूर्वोत्तर के राजनीतिक विमर्श में यह मुद्दा एक बार फिर केंद्र में है। सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ आस्मी सांस्कृतिक पहचान की लड़ाई बता रही है, जबकि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार इस विषय का राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है।
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