
राष्ट्रीय शिक्षा नीति NEP 2020 को लागू हुए पाँच साल पूरे हो गए हैं, जिसे देश की शिक्षा व्यवस्था में सबसे बड़ा और प्रभावशाली बदलाव माना जा रहा है। भारत सरकार ने इसमें कई ऐतिहासिक सुधार किए हैं, जैसे कि पुरानी और बोझिल पढ़ाई के तरीके को खत्म करके अब कौशल-आधारित (Skill-Based), लचीली और समावेशी शिक्षा व्यवस्था पर ज़ोर दिया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति NEP 2020 का उद्देश्य
राष्ट्रीय शिक्षा नीति NEP 2020 मुख्य उद्देश्य बच्चों को रटने की आदत से दूर करना है और उनमें आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking), रचनात्मकता (Creativity) और टेक्नोलॉजी आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना है। इस नई नीति का लक्ष्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के बराबर लाना है। इसके लिए 5+3+3+4 का नया ढाँचा लागू किया गया है, साथ ही कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा, उच्च शिक्षा में अधिक लचीलापन और डिजिटल शिक्षा जैसे कई प्रावधान शामिल किए गए हैं।
नई शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव
नई शिक्षा नीति 2020 ने 1986 की पुरानी नीति को बदल दिया है। इसमें पुराने 10+2 सिस्टम की जगह 5+3+3+4 ढांचा लागू किया गया है, जिससे शिक्षा अब बच्चों की उम्र और सीखने की क्षमता के अनुसार अधिक लचीली और आधुनिक हो गई है।
नई शिक्षा नीति का 5+3+3+4 मॉडल
नई शिक्षा नीति 2020 में 5+3+3+4 मॉडल लागू किया गया है, जिसमें पढ़ाई को चार चरणों में बांटा गया है। पहले 5 साल का फाउंडेशन लेवल (प्री-स्कूल से कक्षा 2 तक), फिर 3 साल का प्रिपरेटरी लेवल (कक्षा 3 से 5 तक), उसके बाद 3 साल का मिडिल लेवल (कक्षा 6 से 8 तक) और अंत में 4 साल का सेकेंडरी लेवल (कक्षा 9 से 12 तक) शामिल है। यह मॉडल बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को ध्यान में रखकर बनाया गया है, ताकि शुरुआती उम्र से ही उन्हें बेहतर और मजबूत शिक्षा मिल सके।
नई शिक्षा नीति में मल्टीपल एग्जिट
नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत, ग्रेजुएशन कर रहे छात्रों को मल्टीपल एग्जिट ऑप्शन दिए गए हैं। इसका मतलब है कि अगर कोई छात्र 1 साल बाद पढ़ाई छोड़ता है, तो उसे सर्टिफिकेट मिलेगा। वहीं 2 साल बाद पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों को डिप्लोमा दिया जाएगा, जिससे उनका समय बर्बाद नहीं होगा। इसके बाद, जो छात्र 3 या 4 साल की पूरी पढ़ाई करेंगे, उन्हें डिग्री प्रदान की जाएगी।
					







