
क्या आपको भी फ्लाइट कैंसिल होने पर रिफंड के लिए महीनों इंतज़ार करना पड़ा है? अगर हाँ, तो यह आपके लिए राहत की खबर है। यात्रियों की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए, भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने टिकट रिफंड के नियमों में बड़ा सुधार करने का फैसला किया है। नए नियमों के अनुसार, अब सभी एयरलाइंस के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे यात्रियों को एक तय समय-सीमा के अंदर उनका रिफंड वापस करें।
DGCA के नए रिफंड नियम
DGCA ने यात्रियों को टिकट कैंसिल या फ्लाइट मिस होने पर जल्दी और पूरा रिफंड सुनिश्चित करने के लिए ये अहम बदलाव प्रस्तावित किए हैं:
- 21 कार्यदिवसों में रिफंड अनिवार्य
- अगर आपने टिकट किसी ट्रैवल एजेंट या ऑनलाइन पोर्टल से बुक किया है, तो एयरलाइन को 21 वर्किंग डेज़ (कार्यदिवसों) के अंदर रिफंड देना होगा।
- सभी टैक्स और फीस का रिफंड
- अब एयरपोर्ट टैक्स, फ्यूल फीस और अन्य शुल्क भी वापस करने होंगे, भले ही टिकट का किराया “नॉन-रिफंडेबल” क्यों न हो।
- 48 घंटे की ‘फ्री लुक-इन’ विंडो
- अगर आपने टिकट बुक करने के 48 घंटे के अंदर उसे कैंसिल कर दिया, तो एयरलाइन कोई कैंसलेशन चार्ज नहीं लेगी।
- क्रेडिट शेल की मजबूरी नहीं
- एयरलाइंस अब यात्रियों की अनुमति के बिना रिफंड के बदले क्रेडिट शेल नहीं बना पाएंगी।
- पारदर्शिता ज़रूरी
- बुकिंग के समय ही कैंसलेशन चार्ज और रिफंड की पूरी प्रक्रिया का विवरण स्पष्ट रूप से दिखाना एयरलाइंस के लिए अनिवार्य होगा।
विदेशी एयरलाइंस के लिए नियम
हाँ, जो विदेशी एयरलाइंस भारत से ऑपरेट करती हैं, उन्हें भी DGCA के नए रिफंड नियमों का पालन करना होगा। भले ही उनके अपने देश के नियम लागू हों, लेकिन जब बात भारत में टिकट कैंसिल या रिफंड की होगी, तो उन्हें भारत की तय समय-सीमा और रिफंड प्रोसेसिंग सिस्टम को मानना अनिवार्य होगा।
मेडिकल इमरजेंसी में पूरा रिफंड
DGCA के नए नियमों के अनुसार, यदि किसी यात्री को या उसके परिवार में कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाती है, तो एयरलाइन को टिकट कैंसिल करने पर पूरा रिफंड देना होगा, या फिर यात्री की इच्छा पर क्रेडिट शेल (ट्रैवल वाउचर) का विकल्प देना होगा। DGCA ने स्पष्ट किया है कि यह नियम संवेदनशील परिस्थितियों में यात्रियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लाया गया है।
शिकायतों के बाद DGCA की सख़्ती
DGCA ने यह बदलाव इसलिए किया, क्योंकि कई एयरलाइंस यात्रियों की शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रही थीं। अक्सर, यात्रियों को महीनों तक रिफंड नहीं मिलता था, या उनकी मर्ज़ी के बिना उन्हें ट्रैवल वाउचर (क्रेडिट शेल) दे दिया जाता था, जिसे इस्तेमाल करना मुश्किल होता था। लगातार बढ़ती इन समस्याओं को देखते हुए, DGCA ने नए मानक (बेंचमार्क) तय किए हैं, ताकि हवाई यात्रियों को समय पर उनका सही रिफंड मिल सके।








