
Will Making Tips: वसीयत लिखना जितना सरल लगता है, उतना है नहीं; केवल कागज पर संपत्ति का बँटवारा लिख देना काफी नहीं होता। एक छोटी सी कानूनी लापरवाही, जैसे गलत हस्ताक्षर, गवाहों की कमी, या अस्पष्ट भाषा, आपकी पूरी वसीयत को विवादित बना सकती है। इसका सीधा नतीजा यह होता है कि आपके परिवार को संपत्ति के लिए सालों तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसलिए, अपनी संपत्ति की वसीयत तैयार करते समय, आपको हर कानूनी प्रक्रिया को ठीक से समझना चाहिए ताकि आपके बाद परिवार को किसी भी तरह की परेशानी न हो।
वसीयत (Will) बनाते समय इन बातों का रखे ध्यान
संपत्ति के शांतिपूर्ण और सही बँटवारे के लिए वसीयत बनाना एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन छोटी सी गलती भी इसे विवाद या कोर्ट केस का कारण बना सकती है। कानूनी जानकारों के अनुसार, वसीयत को हमेशा स्पष्ट और भ्रम रहित भाषा में लिखा जाना चाहिए। सबसे जरूरी बात यह है कि वसीयत भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 63 के तहत तैयार होनी चाहिए। इस नियम के तहत, वसीयत लिखने वाले व्यक्ति (Testator) को दो स्वतंत्र गवाहों के सामने हस्ताक्षर करने होते हैं, और उन दोनों गवाहों के भी हस्ताक्षर अनिवार्य हैं। यदि इस प्रक्रिया में कोई कमी रह जाती है, तो अदालत में वसीयत को चुनौती दी जा सकती है।
चिकित्सीय फिटनेस सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य
वसीयत बनाते समय यह सुनिश्चित करना बहुत ज़रूरी है कि भविष्य में कोई उसे चुनौती न दे सके। इसके लिए, वसीयत लेखक का चिकित्सीय फिटनेस सर्टिफिकेट (Medical Fitness Certificate) लेना आवश्यक है। साथ ही, जब वसीयत पर हस्ताक्षर किए जा रहे हों, उस समय का एक छोटा वीडियो रिकॉर्ड कर लेना चाहिए। ये दोनों चीज़ें इस बात का ठोस सबूत बनती हैं कि वसीयत लिखने वाला व्यक्ति पूरी तरह होश में था और उसने यह दस्तावेज़ बिना किसी दबाव या जोर-जबरदस्ती के अपनी मर्ज़ी से बनाया है।
वसीयत को समय-समय पर अपडेट करें
वसीयत बनाना ही काफी नहीं है, बल्कि इसे समय-समय पर अपडेट करना भी ज़रूरी है, खासकर शादी, तलाक, बच्चे के जन्म या नई संपत्ति खरीदने जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं के बाद। वसीयत को कमज़ोर बनाने वाली आम गलतियाँ हैं—अस्पष्ट भाषा का इस्तेमाल, गवाहों की कमी, नाबालिग बच्चों के लिए संरक्षक (Guardian) तय न करना, और डिजिटल संपत्तियों का ज़िक्र भूल जाना।
हालाँकि वसीयत का पंजीकरण (Registration) अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे करा लेना अच्छा है ताकि बाद में इसकी वैधता पर कोई सवाल न उठे। सबसे ज़रूरी बात यह है कि भविष्य के विवादों से बचने और अपनी इच्छा पूरी करने के लिए, परिवार के साथ संपत्ति के बँटवारे पर खुलकर बात करना बहुत आवश्यक है।








