
शादी हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण कानूनी पड़ाव है, जिसके बाद मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना सबसे ज़रूरी है। यह कानूनी दस्तावेज़ आपकी शादी को सरकारी मान्यता देता है। हालाँकि, यह जानना ज़रूरी है कि यह सर्टिफिकेट हर कोई नहीं बनवा सकता। कुछ विशिष्ट शर्तों का उल्लंघन होने पर आपका आवेदन खारिज हो सकता है, इसलिए शादी के बाद कानूनी परेशानी से बचने के लिए आपको यह अवश्य जानना चाहिए कि मैरिज सर्टिफिकेट प्राप्त करने की शर्तें क्या हैं और किन कारणों से आपका आवेदन अस्वीकार किया जा सकता है।
इन लोगों को नहीं मिलता शादी का सर्टिफिकेट
मैरिज सर्टिफिकेट (विवाह प्रमाण पत्र) केवल तभी जारी होता है जब शादी भारतीय कानून के तहत वैध हो। इसके लिए, शादी के समय लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल या उससे अधिक होनी चाहिए; कम उम्र में प्रमाण पत्र नहीं मिलता। इसके अलावा, शादी जबरदस्ती या बिना सहमति के नहीं होनी चाहिए। दूसरी महत्वपूर्ण शर्त यह है कि दूसरी शादी करने वाले व्यक्ति को यह सर्टिफिकेट तभी मिलेगा जब वह पहली शादी के कानूनी रूप से खत्म होने का प्रमाण (जैसे तलाक का पेपर या साथी की मृत्यु का प्रमाण पत्र) दे सके। साथ ही, शादी का रजिस्ट्रेशन तभी संभव है जब वह किसी धार्मिक या सामाजिक प्रक्रिया के तहत संपन्न हुई हो।
इन शर्तो पर बनता है शादी रजिस्ट्रेशन (Marriage Registration)
किसी भी शादी को कानूनी मान्यता देने के लिए उसका रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है। इसके लिए, दूल्हा और दुल्हन की उम्र, सहमति और पहचान के प्रमाण (जैसे आधार कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट साइज फोटो), शादी की जगह का एड्रेस प्रूफ, और दो गवाहों की ज़रूरत होती है।
आप अपने स्थानीय नगर निगम या तहसील कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं, जहाँ आपकी शादी हिंदू मैरिज एक्ट या स्पेशल मैरिज एक्ट जैसे कानूनों के तहत रजिस्टर होगी। सभी दस्तावेज़ों की जाँच के बाद, आमतौर पर एक से दो सप्ताह में मैरिज सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है, जो पहचान, पासपोर्ट और अन्य सरकारी कार्यों के लिए एक बेहद ज़रूरी कानूनी दस्तावेज़ है।








