
UIDAI ने साफ़ कहा है कि हमारा 12 अंकों का आधार नंबर केवल हमारी पहचान (Identity) बताने के लिए है। यह भारतीय नागरिकता या जन्म की तारीख का पक्का सबूत नहीं है। चूंकि आधार आजकल हर ज़रूरी काम से जुड़ गया है, इसलिए बहुत से लोग यह समझने लगे थे कि यह नागरिकता या जन्मतिथि का भी प्रमाण है। इसी गलतफहमी और अफवाहों को दूर करने के लिए UIDAI ने यह स्पष्टीकरण दिया है।
किन चीजों का प्रमाण नहीं है आधार?
UIDAI के अनुसार, आधार अब इन दो चीजों का पक्का (Conclusive) प्रमाण नहीं माना जाएगा:
- नागरिकता या अधिवास (Citizenship or Domicile):
- आधार कार्ड यह साबित नहीं करता कि कार्डधारक भारत का नागरिक है या किसी विशेष राज्य का निवासी (Domicile)।
- कारण: आधार केवल भारत में रहने वाले (Resident) किसी भी व्यक्ति को दिया जाता है, चाहे उसकी राष्ट्रीयता कुछ भी हो। इसलिए, यह नागरिकता का कानूनी प्रमाण नहीं बन सकता।
- जन्म की तारीख (Date of Birth – DoB):
- आधार कार्ड में लिखी जन्मतिथि को अब जन्म की तारीख का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जाएगा।
- कारण: आधार बनाते समय, कई बार जन्मतिथि ‘घोषित’ (Declared) आधार पर दर्ज की जाती है, न कि हमेशा जन्म प्रमाण पत्र जैसे वैध दस्तावेज़ों के सत्यापन पर।
इस सर्कुलर का क्या असर होगा?
इसका मतलब है कि अब सरकारी और निजी दोनों तरह के संस्थानों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना होगा:
- नागरिकता की जाँच: जहाँ नागरिकता की पुष्टि आवश्यक है (जैसे वोटर आईडी बनवाना या कुछ सरकारी योजनाओं में), वहाँ आधार के साथ-साथ पासपोर्ट या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज़ों की ज़रूरत होगी।
- DoB के लिए अतिरिक्त दस्तावेज़: अगर किसी योजना या काम के लिए जन्म की सही तारीख जानना ज़रूरी है (जैसे पेंशन, स्कूल में प्रवेश, या नौकरी), तो केवल आधार के बजाय, आपको जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, या शैक्षिक प्रमाण पत्र (Educational Certificates) जैसे अन्य दस्तावेज़ भी माँगे जा सकते हैं।
आधार एक बेहतरीन पहचान पत्र है, लेकिन इसे नागरिकता या जन्मतिथि के निर्णायक प्रमाण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।








