
कवि दुष्यंत कुमार की मशहूर लाइन को सच कर दिखाया है केरल के मलप्पुरम की शरीफा कलथिंगल ने। उनकी कहानी उन लाखों गरीब महिलाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा है, जो अभावों के बावजूद अपने परिवार की ज़िंदगी बेहतर बनाना चाहती हैं। बिना किसी संसाधन के, गरीबी के चक्र को तोड़कर एक सफल व्यापार खड़ा करना बहुत मुश्किल है, लेकिन शरीफा ने अपनी अटूट मेहनत और लगन से यह कर दिखाया। उन्होंने सिर्फ 100 रुपये से शुरुआत करके आज करोड़ों रुपये का रेस्तरां साम्राज्य खड़ा कर लिया है।
कौन है शारिफा कलाथिंगल
केरल के मलप्पुरम की रहने वाली शारिफा कलाथिंगल का बचपन गरीबी में बीता। परिवार को पालने के लिए उन्होंने पड़ोसी से ₹100 उधार लिए और स्थानीय दुकानों में घर पर बने पारंपरिक चावल के केक ‘उन्नियप्पम’ बेचना शुरू किया। 2000 के दशक के अंत में, जब उनके पेंटर पति साकीर को काम नहीं मिल रहा था, तब शारिफा अपनी एक साल की बेटी को गोद में लेकर चार किलोमीटर पैदल चलकर यह उन्नियप्पम बेचती थीं। गरीबी के बावजूद, शारिफा ने हार नहीं मानी और इन ₹100 से अपना व्यवसाय खड़ा किया, जिससे बारिश के दिनों में भूखे रहने वाले उनके परिवार को सहारा मिला।
शारिफा की कमाई
भूख से संघर्ष करने वाली शारिफा ने आज एक शानदार सफलता हासिल की है। वह अब तीन रेस्तरां की मालकिन हैं, जिनके पास तीन लक्ज़री कारें और एक करोड़ रुपये का महलनुमा घर है। 2024 में उनके रेस्तरां की सालाना आय 50 लाख रुपये थी, जिसके दम पर उन्होंने 40 से ज़्यादा महिलाओं को रोज़गार दिया है।
शारिफा की कहानी से महिलाओं को मिली बड़ी प्रेरणा
शारिफा के पति साकीर अब उनके रेस्तरां का काम संभालते हैं, जबकि शारिफा अपने ज़्यादातर मुनाफ़े को बिज़नेस में दोबारा लगा रही हैं ताकि इसे और बढ़ाया जा सके। शारिफा कलाथिंगल की यह कहानी उन लाखों गरीब महिलाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा है, जो गरीबी से निकलकर अपने और अपने परिवार के लिए एक बेहतर ज़िंदगी बनाना चाहती हैं।








