क्या आप हिमाचल प्रदेश के नागरिक हैं तो आपके लिए बड़ी खबर है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के जनजातीय इलाकों की बेटियों को पैतृक संपत्ति के अधिकार से जुड़ा बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पुराने नियम को मानते हुए इन क्षेत्रों में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 को लागू होना नहीं बताया है, जिससे बेटियों को अपना हिस्सा लेने में परेशानी आ सकती है। SC ने कहा है कि इन जनजातीय समुदायों में संपत्ति के मामले में पुराने नियम, रीतिरिवाज और परमपराएँ बरकरार रहेगी, इसके चलते कोर्ट ने हिमचाल प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले को रद्द कर दिया है।

हाईकोर्ट के फैसला बदलने का कारण?
23 जून 2015 का एक मामला है जब हिमाचल हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य कि जनजातीय क्षेत्रों की बेटियां अपने पिता की पैतृक संपत्ति का हिस्सा हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत मांग सकती हैं। उन्हें अपनी संपत्ति पर अधिकार जताने का पूरा हक है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह आदेश कानून के खिलाफ लिया गया है। कोर्ट ने साफ साफ कहा है कि हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 2 (2) के तहत, यह कानून अनुसूचित जनजातियों लागू नहीं होता है और वह इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इन क्षेत्रों पर पुराने नियम ही पहले की तरह लागू रहेंगे। रिवाजे आम और स्थानीय सामाजिक रीति-रिवाज को ही माना जाएगा।
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कानून में बदलाव करने की किसे है अनुमति?
इसके साथ ही SC का कहना है कि यह नियम पहले से बने हुए हैं इसलिए इन्हे क्षेत्रों में लागू माना जाएगा, हालाँकि इनमे बदलाव हो सकता है। लेकिन इसका हक केवल राष्ट्रपति को ही है, न्यायलय अथवा अन्य कोई संस्था इस मामले में कोई भी छेड़छाड़ नहीं कर पाएगी। संविधान अनुच्छेद 341 तथा 342 के अनुसार अनुसूचित जातियों और जनजातियों की सूची में कोई भी परिवर्तन करना हो इसका हक केवल राष्ट्रपति के पास है।








