
देश के खाने के तेल के बाज़ार में लंबे समय से मिलावट और नकली ब्रांड के नाम पर लोगों को ठगने की शिकायतें आ रही थीं, जिस पर सरकार अब पूरी तरह रोक लगाने की तैयारी में है। इसके लिए बड़े स्तर पर जाँच और निगरानी शुरू की गई है। वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी कंपनी, ब्लेंडर या री-पैकर को बिना रजिस्ट्रेशन के कारोबार करने की अनुमति नहीं मिलेगी, जिसके लिए एक ऑनलाइन सिस्टम बनाया गया है, जहाँ हर कारोबारी को अपनी जानकारी दर्ज करानी होगी।
अब NSWS पोर्टल पर देगी होगी पूरी जानकारी
अब तेल बनाने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, ब्लेंडर्स और री-पैकर जैसे सभी कारोबारियों को नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (NSWS) पोर्टल पर अपनी पूरी जानकारी देना ज़रूरी होगा। सरकार ने इस पोर्टल को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया है, जहाँ हर कंपनी को अपने संचालन की जानकारी, उत्पादन क्षमता, इस्तेमाल होने वाले कच्चे तेल का विवरण और बिक्री (सेल) का डेटा अपलोड करना होगा। यदि कोई कंपनी गलत जानकारी देती है या रजिस्ट्रेशन नहीं कराती है, तो उसके खिलाफ सख्त जुर्माना (पेनल्टी) लगाया जाएगा।
सरकार ने अधिकारियों को दिए जाँच के आदेश
सरकार ने सभी राज्यों के अधिकारियों को अचानक जाँच और मौके पर वेरिफिकेशन करने का निर्देश दिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि सभी कंपनियाँ नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं। जिन कंपनियों पर गड़बड़ी के आरोप हैं, उनके स्टॉक और कीमतों से जुड़े डेटा की जाँच की जाएगी। इस कदम से बाज़ार में पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राहकों का भरोसा मज़बूत होगा।
तेल की कीमतों पर रखी जाएगी कड़ी नजर
सरकार ने साफ़ कहा है कि तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव पर अब कड़ी नज़र रखी जाएगी। इसके लिए बाज़ार के डेटा का विश्लेषण किया जाएगा, ताकि कोई भी व्यापारी मनमानी कीमतें न वसूल सके। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि ग्राहकों को न सिर्फ सही दाम पर तेल मिलेगा, बल्कि वे मिलावटी और नकली उत्पादों से भी सुरक्षित रहेंगे।
सरकार का मुख्य लक्ष्य
सरकार का मुख्य लक्ष्य खाद्य तेल उद्योग को पारदर्शी बनाना है। इससे ग्राहकों के हितों की रक्षा होगी, गलत तरीके से होने वाली मुनाफाखोरी पर रोक लगेगी और अनियमित तरीके से काम करने वाले व्यापारियों पर नियंत्रण स्थापित होगा।
भारत में पिछले कुछ सालों में तेल की कीमतों में अचानक तेज़ी आई और मिलावट के कई मामले सामने आए थे। तेल कंपनियों पर यह आरोप भी लगा था कि वे गलत आयात का डेटा दिखाकर टैक्स बचा रही थीं। इन्हीं सब कारणों से, अब सरकार ने पूरे तेल सेक्टर को नियंत्रित करने का बड़ा फैसला लिया है।