
हर दिन लाखों लोग ट्रेन से यात्रा करते है, इसलिए भारतीय रेलवे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल नेटवर्क है। सभी लोग अपनी सुविधानुसार जनरल, स्लीपर या एसी जैसे अलग-अलग क्लास के कोच में टिकट बुक करते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी यह सोचा है कि जिस ट्रेन में आप सफ़र करते हैं, उसे बनाने में कुल कितना खर्च आता होगा?
रेलवे का एक इंजन बनाने में आता है इतना खर्चा
सभी ट्रेनों में बिजली, पानी, वॉशरूम, फैन और एसी जैसी सुविधाएँ होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन्हें बनाने में कितना खर्च आता है? 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे का एक इंजन बनाने में लगभग 15 से 20 करोड़ रुपये का खर्च आता है। ये इंजन भारत में ही बनते हैं, जिनमें इलेक्ट्रिक और डीज़ल दोनों तरह के इंजन शामिल हैं; फिलहाल लगभग 52% ट्रेनें डीज़ल पर चलती हैं। समय के साथ इन लागतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
एक सामान्य यात्री ट्रेन बनाने में आएगा इतना खर्च
ट्रेन के इंजनों में डुअल मोड लोकोमोटिव यानी जो बिजली और डीज़ल दोनों से चलता है, उन्हें बनाने में लगभग 18 करोड़ रुपये का खर्च आता है, जबकि डीजल लोकोमोटिव करीब 13 करोड़ रुपये में आता है। वहीं, एक पूरी एक्सप्रेस ट्रेन (24 कोच के साथ, जहाँ हर कोच पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च होता है) बनाने में लगभग 70 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है, जबकि कम सुविधाओं वाली एक सामान्य यात्री ट्रेन को बनाने में 50 से 60 करोड़ रुपये लगते हैं।
एक पूरी एक्सप्रेस ट्रेन तैयार करने में लगभग ₹70 करोड़ का खर्च आता है, जिसमें कोचों की कीमत करीब ₹50 करोड़ और इंजन की कीमत लगभग ₹20 करोड़ होती है। हालांकि, यह कुल लागत कोच में मिलने वाली सुविधाओं पर निर्भर करती है, जैसे कि साधारण (जनरल) या स्लीपर कोच की तुलना में एसी (AC) कोच अधिक महंगे होते हैं।