केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा समय समय पर किसानों के लिए कई लाभकारी योजनाएं शुरू की जाती है। इन योजनाओं के तहत किसानों को आर्थिक सहायता, लोन और सब्सिडी जैसे कई प्रकार की सुविधांए मिलती है। ठीक इसी तरह से किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना है, जो खेती-बाड़ी से जुड़े कामों को करने के लिए लोन उपलब्ध कराती है। योजना की ख़ास बात तो यह है कि इसकी ब्याज दरें बहुत कम है, जिससे आपके ऊपर आर्थिक बोझ भी नहीं बढ़ेगा।
लेकिन इस योजना को लेकर कई लोगों के मन में ख्याल आता है, कि अगर वे समय पर निकाले गए कर्ज को नहीं चुकाते हैं तो उनकी जमीन जब्त कर दी जाएगी। आइए इसके बारे में ही आज विस्तार से जानते हैं।

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) क्या है?
देश के किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत और उनके विकास के लिए भरत सरकार द्वारा KCC योजना को 1988 में शुरू किया था। इस योजना के तहत सरकार किसानों की बैंकों से सस्ते दर में लोन प्रदान कर रही है। आप इस पैसे का इस्तेमाल खेती से जुड़ी आवश्यकताओं जैसे बीज, खाद, कीटनाशक, उपकरण खरीदने आदि में कर सकते हैं।
किसान अपने खेत के आकर और जरूर के हिसाब से लोन निकाल सकते हैं। योजना के तहत 50 हजार रूपए से 3 लाख रूपए या इससे अधिक का लोन ले सकते हैं। लोन चुकाने का समय फसल चक्र पर निर्भर करता है, यानी की आपको इस हिसाब से लोन का भुगतान करना है। अगर आप समय पर लोन चुकाते हैं तो आपको 2-3 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी भी दी जाएगी। इससे आपके लोन का बोझ थोड़ा सा हल्का हो जाएगा।
KCC लोन नहीं चुकाया तो क्या होगा?
- अगर किसान 90 दिनों तक कर्ज का भुगतान नहीं करता है तो उसके बैंक खाते को NPA (Non-Performing Asset) घोषित कर दिया जाएगा। इसका मतलब खाता गैर-निष्पादित परिसंपत्ति हो जाता है।
- अब किसान का जितना कर्ज बकाया है उसे वसूलने के लिए बैंक अगला कदम उठाएगा। इसमें सबसे पहले समझौता करने का प्रयास किया जाएगा, इसके बाद क़ानूनी नोटिस भेजा जाएगा। लास्ट में संपत्ति जब्त करने के मामले में कार्यवाई की जा सकती है।
- बैंक को पैसा नहीं मिलता है तो इस मामले को तहसीलदार अथवा जिला प्रशासन के पास भेजा जाए सकता है। इसके बाद राजस्व बकाया मानकर वसूली के लिए कार्यवाई आरम्भ की जाएगी।
जमीन नीलामी के लिए प्रक्रिया और कानून
जब अन्य विकल्प से बैंक पैसा नहीं वसूल पाता है तो फिर जमीन निलाम करने का अधिकार मिलता है। बैंक को यह अधिकार SARFAESI Act, 2002 के तहत मिलता है। बैंक बिना अदालत जाए गिरवी रखी सम्पति को बेच कर अपना पैसा आसानी से वसूल सकता है।
बैंक नीलामी की तारीख को निर्धारित करके फिर इस सूचना को अख़बार के माध्यम से प्रकशित करता है। एक बार फिर से किसान को अंतिम भुगतान के लिए एक और अवसर मिलता है। अगर फिर भी भुगतान नहीं होता है तो जमीन नीलाम कर दी जाएगी। जमीन बेचकर मिली राशि से बैंक अपना लोन वापस पा लेता है।
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इन परिस्थतियों में जमीन नहीं की जाएगी नीलाम
कुछ विशेष परिस्थितियों में किसान की जमीन जब्त नहीं की जाएगी।
- बाढ़, सूखा या अन्य प्राकृतिक आपदा से फसल ख़राब होने पर किसानों को राहत मिलेगी।
- सरकार द्वारा लोन माफ़ी या राहत पैकेज देने पर।
- छोटे या सीमांत किसानों की जोत 5 एकड़ से कम होने पर।
- अगर फसल बीमा योजना के तहत कवर हुई है और बीमा क्लेम में समय है।
किसान के क़ानूनी अधिकार और बचाव
अगर सम्पति नीलाम होने की स्थिति पर आ जाती है तो किसान को इन बचाव तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।
- किसान ऐसा होने पर तुरंत ही बैंक से बातचीत कर सकते हैं और लोन की शर्तों को पुनर्गठित करवा सकते हैं अथवा वन टाइम सेटलमेंट के ऑप्शन को चुन सकते हैं।
- अगर बैंक नयमों का पालन नहीं करता है तो किसान ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) अथवा अदालत में अपील कर सकते हैं।
- अदालत से स्टे आर्डर मिलता है तो नीलामी को अस्थायी रूप से रोक सकते हैं।
- अगर बिना उचित नोटिस भेजे कार्यवाई होती है तो किसान अदालत में जाकर कंप्लेंट दर्ज कर सकता हैं।
आपको हमेशा ध्यान देना है कि अगर आप बैंक का लोन नहीं चुकाते हैं तो बैंक के पास आखिरी ऑप्शन जमीन नीलामी करने का रहता है। अगर आपको ऋण चुकाने के कोई समस्या है तो बैंक से सम्पर्क कर सकते हैं। अगर समय पर सही से बात करके समाधान मिलता है तो आप इस झंझट से बच सकते हैं।