
देश में कुछ समय पहले सैटेलाइट टोल सिस्टम को लागू करने की योजना बनाई जा रही थी, लेकिन अभी इसे टाल दिया गया है। इसकी बड़ी वजह यह है कि सरकार विदेशी जीपीएस जैसे – अमेरिकी, रूसी, यूरोपीय या चीनी का इस्तेमाल नहीं करना चाहती और इसके लिए पूरी तरह से स्वदेशी ‘नाविक’ सैटेलाइट सिस्टम पर निर्भर रहना चाहती है, जो अभी पूरी तरह तैयार नहीं है। इस बीच एनएचएआई अब बैरियर-फ्री मल्टी-लेन टोल सिस्टम पर काम कर रही है।
कुछ समय के लिए टली सैटेलाइट योजना
आधुनिक तकनीकी के कारण देश में कुछ समय सैटेलाइट से टोल वसूलने की योजना टाल दी गई है। सरकार चाहती है कि इस सिस्टम में केवल भारत के अपने ‘नाविक’ (NavIC) सैटेलाइट का इस्तेमाल हो, लेकिन नाविक अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है। इसके लिए सभी संबंधित टेक्निकल टीमें काम कर रही हैं। एक बड़ी चिंता यह भी है कि सड़क पर चल रहे वाहनों की रियल-टाइम लोकेशन ट्रैक होने से गाड़ी में सवार लोगों की निजता (Privacy) को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।
दिल्ली-जयपुर हाईवे पर हो चुका ट्रायल
जानकारी के अनुसार, अभी GNSS आधारित सैटेलाइट टोल सिस्टम को देश में सुरक्षित ढंग से लागू करने के लिए फिलहाल टाल दिया गया है, हालांकि दिल्ली-जयपुर हाईवे पर इसका ट्रायल हो चुका है। इस बीच, एनएचएआई अब देश में बैरियर-फ्री मल्टी-लेन फ्री-फ्लो टोल सिस्टम शुरू करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसके तहत गाड़ियाँ बिना रुके टोल प्लाजा से गुजरेंगी और टोल टैक्स अपने आप कट जाएगा; इस नई प्रणाली का पहला टेंडर गुजरात के चोर्यासी के लिए जारी किया जा चुका है।