
जैसा की आप जानते होंगे की भारत में अधिक आय वाले लोगों को इनकम टैक्स देना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते है कि हमारे देश में एक ऐसा राज्य भी है जहाँ के मूल निवासियों को अपनी आय पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता? यह बात सच है कि इस राज्य के निवासियों के लिए इनकम टैक्स जीरो है। आखिर इस राज्य को यह खास छूट क्यों मिली है, जानिए इसके पीछे का कारण।
टैक्स-फ्री राज्य बना सिक्किम
सिक्किम भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसे इनकम टैक्स से पूरी तरह छूट मिली हुई है। यह विशेष सुविधा राज्य को संविधान के अनुच्छेद 371(F) के तहत प्राप्त है। जब 1975 में सिक्किम भारत का हिस्सा बना, तो केंद्र सरकार ने वादा किया था कि राज्य की अपनी पारंपरिक प्रशासनिक और टैक्स व्यवस्था को बनाए रखा जाएगा। इसी वादे को निभाने के लिए यह विशेष संवैधानिक दर्जा दिया गया, जिसके कारण सिक्किम के मूल निवासी अपनी आय पर कोई आयकर नहीं चुकाते हैं।
सिक्किम में टैक्स छूट का नियम
इनकम टैक्स कानून की धारा 10(26AAA) के कारण सिक्किम के मूल निवासियों को टैक्स से पूरी छूट मिली हुई है। अगर आप सिक्किम के निवासी हैं और आपके पास वहाँ का सब्जेक्ट सर्टिफिकेट है, तो आपको अपनी सैलरी, बिज़नेस से हुई कमाई, निवेश या शेयरों से मिलने वाले मुनाफे पर कोई भी इनकम टैक्स नहीं भरना पड़ता है। यह विशेष प्रावधान वहाँ के निवासियों की आय को पूरी तरह टैक्स-फ्री रखता है।
इन लोगों को नहीं मिलता है फ्री टैक्स का लाभ
सिक्किम के सभी निवासियों को फ्री टैक्स का लाभ नहीं मिलता है। यह सुविधा केवल उन्हीं लोगों के लिए है जो 1961 के ‘सिक्किम सब्जेक्ट रेगुलेशन’ में दर्ज थे या जो उनके वंशज हैं—यानी, जो सिक्किम के मूल निवासी हैं। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति बाद में सिक्किम में आकर बसा है या काम करता है, लेकिन वह वहाँ का मूल निवासी नहीं है, तो उसे भारत के बाकी हिस्सों की तरह ही आयकर (Income Tax) चुकाना पड़ता है।
टैक्स छूट देने की असली वजह
सिक्किम को मिली हुई टैक्स छूट केवल एक आर्थिक फायदा नहीं है, बल्कि यह वहाँ की सांस्कृतिक विरासत को बचाने का एक तरीका भी है। यह विशेष प्रावधान इसलिए रखा गया था ताकि सिक्किम के लोगों की ऐतिहासिक और सामाजिक पहचान बनी रहे। इस छूट से वहाँ के मूल निवासियों को न केवल आर्थिक राहत मिलती है, बल्कि यह उनके पारंपरिक और सामाजिक ढांचे को भी मजबूत बनाने में मदद करती है।