
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है, जिनमें से एक प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) है। इस योजना का उद्देश्य है कि सभी जरूरतमंदलोगों को उनके सपनों का घर देना। यह योजना खासतौर पर उन लोगों के लिए है, जो अपना घर खरीदना चाहते है, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण नहीं ले पाते है।
दो कैटेगरी में मिलेगा लाभ
प्रधानमंत्री आवास योजना को दो कैटेगरी में बांटा गया है- शहरी और ग्रामीण। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले मध्यम वर्ग के लोगों के लिए अब प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 (PMAY-U 2.0) को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत, सरकार का लक्ष्य अगले पाँच सालों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मदद से शहरी इलाकों में रहने वाले एक करोड़ गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को घर खरीदने में आर्थिक सहायता देना है।
इस योजना का लाभ मुख्य रूप से EWS, LIG, और MIG कैटेगरी के आर्थिक रूप से कमजोर परिवार वाले ले सकते है, लेकिन उनके पास अपना कोई पक्का घर नहीं होना चाहिए।
उम्मीदवार लोगों को अलग – अलग श्रेणी में बांटा
अगर आपके परिवार की सालाना आय 3 लाख रूपये है, तो आप (EWS) श्रेणी में आते हैं। वहीं 3 -6 लाख रूपये तक की आय वाले परिवार एलआईजी (LIG) श्रेणी में और ₹6 लाख से ₹9 लाख तक की आय वाले परिवार एमआईजी (MIG) श्रेणी में आते हैं।
चार कैटेगरी में मिलेगा (PMAY-U) 2.0 का फायदा
प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) 2.0 को चार मुख्य भागों में बांटा गया है ताकि अलग-अलग ज़रूरतों को पूरा किया जा सके:
- लाभार्थी-आधारित निर्माण (BLC): इस योजना के तहत, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के परिवारों को उनकी अपनी ज़मीन पर नया घर बनाने के लिए सरकारी मदद दी जाती है।
- साझेदारी में किफायती आवास (AHP): इसमें सरकार और निजी कंपनियां मिलकर सस्ते घर बनाती हैं, जिन्हें EWS परिवारों को आर्थिक मदद के साथ बेचा या आवंटित किया जाता है।
- किफायती किराये के आवास (ARH): यह उन लोगों के लिए है जो घर खरीदना नहीं चाहते या नहीं खरीद सकते। इस योजना में कम समय के लिए साफ-सुथरे और सस्ते किराए के घर उपलब्ध कराए जाते हैं।
- ब्याज सब्सिडी योजना (ISS): इसके अंतर्गत, EWS, LIG और MIG परिवारों को होम लोन पर ब्याज में छूट दी जाती है। 35 लाख रुपये तक के घर के लिए 25 लाख रुपये तक के होम लोन पर 4% ब्याज सब्सिडी मिल सकती है, जिससे लाभार्थियों को 1.80 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता मिलती है।