
शुक्रवार से अजमेर के सेवर वंडर पार्क को हटाने का काम शुरू हो गया है, मजदूर रविवार से हथौड़ा लेकर ताजमहल के ऊपर चढ़ गए और एक-एक पत्थर तोड़ने लगे. बड़े -बड़े पत्थरों को हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया जा रहा है. लगातार पार्क से ताजमहल को तोड़ने का काम जारी है. इस काम के लिए प्रशासनिक टीमें और जेसीबी मशीनें लगी हुई हैं और सुरक्षा के लिए भारी संख्या में पुलिस भी तैनात की गई है.
11.64 करोड़ रुपये की लागत से बना पार्क
अजमेर में ‘सेवन वंडर पार्क’ को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घोषित कर दिया है. यह पार्क 11.64 करोड़ रुपये की लागत से बना था, जिसे ‘अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट’ के तहत बनाया गया था. इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा 2022 में किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने पहले कहा कि पार्क का निर्माण वेटलैंड (नमभूमि) नियमों का उल्लंघन करके किया गया था. इसी वजह से कोर्ट ने इसे हटाने का आदेश दिया है और इसके लिए 17 सितंबर की समय सीमा तय की है.
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की प्रतिकृति को हटाया गया
इस पार्क से पहले ही स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की प्रतिकृति को हटाया दिया है. यह पार्क बहुत खास था, क्योंकि इसमें दुनिया के सात अजूबों की छोटी-छोटी प्रतिकृतियां बनाई गई थीं, जैसे ताजमहल, एफिल टावर, पीसा की मीनार, गीजा का पिरामिड, रोम का कोलोजियम और क्राइस्ट द रिडीमर. ये पार्क घूमने के लिए बहुत फेमर हो गया था और कई लोग यहां घूमने के अलावा शादियों की शूटिंग भी करते थे.
व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल में की शिकायत
ताजमहल तोड़ने के मामले में अशोक मलिक नाम के एक व्यक्ति ने 2023 में सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल में शिकायत की थी. उसका कहना था कि पार्क लोगों के टैक्स के करोड़ों रुपयों से बनाया गया है, लेकिन यह एक अवैध निर्माण है क्योंकि यह नदी के डूब क्षेत्र में आता है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद इसे पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन माना और अजमेर नगर निगम और जिला प्रशासन को इस पार्क को हटाने का आदेश दिया.