नई दिल्ली: अमेरिकी प्रतिबंधों और भारी-भरकम टैरिफ की परवाह न करते हुए भारत ने रूस के साथ अपने आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूती से बनाए रखा है। भारत के इस कदम की रूस ने खुलकर तारीफ की है और कहा है कि दोनों देशों के रिश्तों को कमजोर करने की कोई भी कोशिश सफल नहीं होगी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका, विशेषकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, लगातार भारत पर रूस से तेल और रक्षा उपकरण न खरीदने का दबाव बना रहा है।

रूस ने भारत के लिए क्या कहा?
रूसी विदेश मंत्रालय ने 14 सितंबर को एक बयान जारी कर भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की सराहना की। मंत्रालय ने कहा, “हम भारत की तारीफ करते हैं कि उन्होंने अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस के साथ संबंध जारी रखे। भारत के साथ हमारे रिश्ते स्थिर हैं और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं।” रूस ने यह भी कहा कि पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद नई दिल्ली का यह रुख न केवल दोनों देशों की गहरी दोस्ती को दिखाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का भी प्रतीक है।
क्या है अमेरिका का दबाव?
अमेरिका, खासकर डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में, भारत पर लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि वह रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में अप्रत्यक्ष रूप से उसकी मदद कर रहा है। इसी के चलते पिछले महीने अमेरिका ने अधिकांश भारतीय उत्पादों पर 50% का भारी टैरिफ लगा दिया था। इसमें 25% का बेसलाइन टैरिफ और रूस से तेल व रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए 25% का अतिरिक्त शुल्क शामिल है। हालांकि, भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए अमेरिकी कदम को अनुचित और अव्यवहारिक बताया है।
आंकड़ों में भारत-रूस की गहरी दोस्ती
अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए हैं:
- द्विपक्षीय व्यापार: वित्तीय वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच व्यापार रिकॉर्ड 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो 2021 में सिर्फ 13 अरब डॉलर था।
- ऊर्जा क्षेत्र: भारत रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। 2020 में जहां भारत रूस से प्रतिदिन केवल 500 बैरल तेल खरीदता था, वहीं 2025 में यह आंकड़ा बढ़कर 16 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया।
- रक्षा संबंध: भारत अपने कुल रक्षा उपकरणों का 50% से अधिक हिस्सा रूस से ही आयात करता है। इसमें S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम जैसा महत्वपूर्ण समझौता भी शामिल है।
- अन्य आयात: भारत ने 2024 में रूस से 3.5 अरब डॉलर का कोयला और 1.67 अरब डॉलर की खाद भी खरीदी।
क्या है आगे की राह?
इस महीने रूसी उप प्रधानमंत्री दिमित्री पेत्रुशेव के भारत दौरे की भी उम्मीद है, जिससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत हो सकते हैं। इस यात्रा का मुख्य एजेंडा रूस से उर्वरक निर्यात बढ़ाना और भारत से झींगे का आयात करना है। अमेरिका द्वारा भारतीय झींगे पर 50% टैरिफ लगाने के बाद, रूस भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा और आकर्षक बाजार बनकर उभर सकता है।
एक तरफ अमेरिका का बढ़ता दबाव और दूसरी तरफ रूस का दोस्ती का हाथ, इन जटिल वैश्विक परिस्थितियों के बीच भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर मजबूती से कायम है।