
जब चीन में 1949 में कम्युनिस्ट क्रांति हुई, तो इसका असर पूरे एशिया पर हुआ. चीन ने 1950 में तिब्बत पर भी कब्ज़ा कर लिया था, जिससे नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह की चिंता बढ़ गई थी. इस समय नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता थी, जिस वजह से राजा त्रिभुवन ने अपनी सुरक्षा के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को नेपाल और भारत मिलान का प्रस्ताव दिया था.
नेपाल के प्रधानमंत्री ने दिया चौंकाने वाला प्रस्ताव
जब भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे और त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह नेपाल के राजा थे. स समय नेपाल के राजा ने नेहरू को एक चौंकाने वाला प्रस्ताव दिया था. वह चाहते थे कि भारत और नेपाल एक हो जाएं. उनका मानना था कि ऐसा करने से दक्षिण एशिया का भविष्य बदल सकता है.
नेपाल में बढ़ रहा भ्रष्टाचार और राजनीतिक स्वार्थ
आज भी नेपाल राजनीतिक तौर पर स्थिर नहीं है. वहां पिछले कुछ सालों से राजनीतिक और सामाजिक शांति नहीं है. 2006 में माओवादियों ने जब सरकार बनाई, तो लोगों को उम्मीद थी कि देश में शांति और तरक्की आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नेपाल में भ्रष्टाचार और राजनीतिक स्वार्थ बढ़ता गया. पिछले 17 सालों में वहाँ 14 प्रधानमंत्री बदले गए हैं. वहीं हाल ही में पीएम ओली ने अपना इस्तीफा दे दिया.
नेहरू ने ठुकराया नेपाल का प्रस्ताव
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में बताया है कि जवाहरलाल नेहरू सभी कामों में बहुत समझदारी से काम करते थे. जब नेपाल में राणाओं की जगह राजशाही आई, तो वहाँ के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने खुद नेहरू को नेपाल को भारत का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया था.
लेकिन नेहरू ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि उनका मानना था कि नेपाल एक आजाद देश है और उसे ऐसा ही रहना चाहिए. प्रणब मुखर्जी का कहना है कि अगर नेहरू की जगह इंदिरा गांधी होतीं, तो वह ऐसा मौका नहीं छोड़ती.