
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब तीन साल से भी ज्यादा लंबा हो गया है। लाखों लोग बेघर हो चुके हैं, हजारों जानें जा चुकी हैं और अब तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है। शांति वार्ताएं भी हो चुकी हैं, लेकिन हर बार लड़ाई फिर से शुरू हो जाती है। अब इस जंग को रोकने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कुछ खास शर्तें रखी हैं। उनका कहना है कि जब तक ये शर्तें पूरी नहीं होतीं, तब तक युद्ध खत्म नहीं होगा।
पुतिन की पहली शर्त: नाटो-NATO अब आगे न बढ़े
पुतिन की सबसे बड़ी चिंता है कि नाटो यानी पश्चिमी देशों का सैन्य संगठन यूक्रेन को भी अपनी टीम में शामिल करना चाहता है। पुतिन मानते हैं कि अगर यूक्रेन नाटो का हिस्सा बन गया, तो रूस की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। इसलिए उन्होंने साफ कह दिया है कि युद्ध रोकने के लिए पश्चिमी देशों को यह लिखकर देना होगा कि नाटो अब और देशों की तरफ नहीं बढ़ेगा, खासकर रूस की सरहदों के पास।
दूसरी मांग: रूस पर लगे प्रतिबंध-Sanctions हटें
जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है, पश्चिमी देशों ने उस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। इससे रूस की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ है। पुतिन अब चाहते हैं कि ये सख्त प्रतिबंध हटाए जाएं या कम से कम कुछ हद तक ढीले किए जाएं। उनका कहना है कि प्रतिबंधों से आम रूसी जनता पर भी बुरा असर पड़ा है और अगर शांति चाहिए, तो ये कदम जरूरी है।
तीसरी शर्त: यूक्रेन में रहने वाले रूसी भाषी लोगों की सुरक्षा
यूक्रेन में एक बड़ी संख्या में लोग रूसी भाषा बोलते हैं। रूस का कहना है कि इन लोगों के साथ भेदभाव और हिंसा हो रही है। पुतिन की मांग है कि इन रूसी भाषी लोगों को पूरा अधिकार और सुरक्षा मिलनी चाहिए। वे चाहते हैं कि भविष्य में किसी भी शांति समझौते में इन लोगों की सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए।
अमेरिका और ट्रंप की भूमिका
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस युद्ध को खत्म करने के लिए कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में पुतिन और ट्रंप के बीच दो घंटे लंबी बातचीत हुई। इसके बाद पुतिन ने कहा कि वह अब एक ऐसे दस्तावेज पर काम कर रहे हैं जो युद्ध को रोकने के लिए एक प्लान देगा। इस प्लान में युद्धविराम का समय और दूसरे जरूरी बिंदु शामिल होंगे।
लेकिन अमेरिका की तरफ से मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है। कुछ लोग इसे सही दिशा मानते हैं, तो कुछ लोगों का कहना है कि अगर रूस अब भी शांति वार्ता को टालता रहा, तो वह बहुत बड़ी गलती कर रहा है। अमेरिका की चिंता यह भी है कि रूस युद्ध के मैदान में बढ़त लेने की कोशिश कर रहा है और वार्ता को सिर्फ रणनीति के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
अब आगे क्या होगा?
पुतिन ने अपनी तरफ से साफ कर दिया है कि जब तक उनकी तीनों शर्तें नहीं मानी जातीं—नाटो का विस्तार न हो, रूस पर से प्रतिबंध हटें और रूसी भाषियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो—तब तक शांति मुश्किल है। अब सवाल यह है कि क्या पश्चिमी देश इन शर्तों को मानेंगे? क्या यूक्रेन और रूस के बीच सच में कोई समझौता हो पाएगा?