इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए बीते 24 घंटे भारी साबित हुए। जहां एक तरफ इजराइली सुप्रीम कोर्ट ने खुफिया एजेंसी शिन बेट के प्रमुख को हटाने की उनकी कोशिश को गैरकानूनी ठहराया, वहीं दूसरी ओर ब्रिटेन, फ्रांस और इटली जैसे देशों ने गाजा में इजराइल की सैन्य कार्रवाई और वेस्ट बैंक की स्थिति को लेकर नाराजगी जाहिर की। अंतरराष्ट्रीय मंचों से मिली फटकार ने नेतन्याहू की कूटनीतिक छवि को करारा झटका दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की फटकार: ‘मनमानी कर रहे हैं पीएम’
इजराइल की सुप्रीम कोर्ट ने शिन बेट के प्रमुख रोनेन बार को हटाने के प्रयास को “गैरकानूनी और हितों के टकराव से ग्रस्त” बताया। यह एजेंसी नेतन्याहू से जुड़े कतारगेट और गोपनीय दस्तावेज लीक के मामलों की जांच कर रही थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि न तो इस फैसले से पहले सलाहकार समिति से परामर्श लिया गया और न ही रोनेन बार को पक्ष रखने का मौका मिला। अदालत ने यह भी इशारा किया कि यह फैसला नेतन्याहू की राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित था।
ब्रिटेन ने फ्री ट्रेड वार्ता रोकी
इजराइल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरा झटका ब्रिटेन से लगा। गाजा पट्टी में लगातार बमबारी और मानवीय संकट को लेकर ब्रिटिश सरकार ने इजराइल के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत स्थगित कर दी है। ब्रिटेन ने यहूदी बस्तियों पर भी नए प्रतिबंध लगाए हैं और इजराइल की राजदूत त्सिपी होतोवेली को तलब किया है।
ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा, “गाजा में मानवीय हालात बेहद खराब हैं और इजराइली सेना की कार्रवाई अस्वीकार्य स्तर तक पहुंच गई है।”
फ्रांस-इटली की संयुक्त नाराजगी
तीसरा और बड़ा झटका नेतन्याहू को फ्रांस और इटली से मिला। वेस्ट बैंक में एक यूरोपीय डेलिगेशन के दौरे के दौरान इजराइली गोलीबारी में एक फ्रांसीसी राजनयिक बाल-बाल बचे। इस घटना के बाद फ्रांस और इटली ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इजराइल के राजदूतों को तलब किया और नाराजगी जताई।
फ्रांस ने इसे “बिलकुल अस्वीकार्य और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन” बताया। इटली ने भी इस घटना को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है।