Currency Market में हलचल! क्या डॉलर की जगह लेने आ रहा है यूरो? जानिए क्यों मचा है घबराहट का माहौल

अमेरिका की अस्थिर टैक्स और टैरिफ नीति के कारण डॉलर कमजोर हुआ है, जिससे यूरो एक मजबूत और स्थिर विकल्प बनकर उभरा है। निवेशक अब Safe Haven की ओर रुख कर रहे हैं, जैसे कि सोना और सरकारी बॉन्ड्स। यूरोपियन सेंट्रल बैंक की पारदर्शी नीति और अमेरिका के बढ़ते कर्ज के चलते यह बदलाव और तेज हो सकता है।

By GyanOK

Currency Market में हलचल! क्या डॉलर की जगह लेने आ रहा है यूरो? जानिए क्यों मचा है घबराहट का माहौल
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जब अमेरिका की टैरिफ और टैक्स नीति में उठापटक तेज हो और डॉलर-Doller लगातार कमजोर हो रहा हो, ऐसे समय में ग्लोबल करेंसी मार्केट एक नये मोड़ पर खड़ा है। यूरो-Euro, जो अब तक अमेरिकी डॉलर का साया माना जाता था, अब खुद एक “वायबल अल्टरनेटिव” के तौर पर उभर रहा है। यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) की प्रमुख क्रिस्टीन लगार्ड ने बर्लिन में अपने ताजा बयान में इस ओर इशारा किया है कि वैश्विक निवेशकों का भरोसा अब यूरो की ओर बढ़ रहा है। इसकी वजह है अमेरिका की अस्थिर आर्थिक नीतियां, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ फैसले बाजार में गहरी चिंता पैदा कर रहे हैं।

डॉलर की गिरावट और यूरो की मजबूती

मंगलवार, 27 मई 2025 को करेंसी मार्केट में जोरदार उथल-पुथल देखने को मिली। डॉलर इंडेक्स 0.83% गिरकर 99.08 पर आ गया जबकि यूरो 0.74% मजबूत होकर $1.1364 तक पहुंच गया। जापानी येन के मुकाबले डॉलर में 1.07% की गिरावट दर्ज की गई। ये संकेत हैं कि वैश्विक निवेशक अब डॉलर से दूरी बनाकर नए विकल्प तलाश रहे हैं, जिसमें यूरो सबसे मजबूत भूमिका निभा रहा है।

ट्रंप के टैरिफ ने बढ़ाई अनिश्चितता

शुक्रवार को अमेरिकी बाजार में हलचल तब और तेज हो गई जब ट्रंप ने 1 जून से यूरोपियन यूनियन से होने वाले आयात पर 50% टैक्स लगाने की चेतावनी दी। साथ ही अमेरिका के बाहर बनाए गए Apple iPhones पर भी 25% टैरिफ की योजना की घोषणा ने टेक मार्केट को झकझोर दिया। इसके तुरंत बाद Apple का शेयर 3% गिरा और डॉलर की स्थिति और कमजोर हो गई। वैश्विक निवेशकों ने इसे अमेरिका की आक्रामक और अस्थिर नीति के रूप में देखा।

यूरो की ओर झुकते निवेशक

ECB प्रमुख लगार्ड का कहना है कि जब तक अमेरिका की पॉलिसी में स्थिरता नहीं आती, तब तक ग्लोबल इन्वेस्टर्स सुरक्षित और स्थिर विकल्प की तलाश में रहेंगे। यूरो इस वक्त एक भरोसेमंद करेंसी के रूप में उभर रहा है, खासकर इंटरनेशनल ट्रेड और निवेश के लिए। यूरोप की राजनीतिक स्थिरता और ECB की स्पष्ट आर्थिक नीति इसे डॉलर के मुकाबले कहीं ज्यादा संतुलित विकल्प बनाती है।

बाजार में घबराहट और सोने की चमक

ट्रंप के टैक्स कट और फिस्कल एक्सपेंशन से बाजार में घबराहट बढ़ गई है। निवेशक अब जोखिम से दूर रहकर Safe Haven एसेट्स जैसे सरकारी बॉन्ड और सोने की ओर रुख कर रहे हैं। अमेरिकी 10 साल का बॉन्ड यील्ड 4.509% पर आ चुका है, वहीं स्पॉट गोल्ड 2.14% की तेजी के साथ $3,364.74 प्रति औंस पर पहुंच गया है।

अमेरिकी कर्ज की चिंता बढ़ी

नए टैक्स प्लान से अमेरिका पर करीब $4 ट्रिलियन का अतिरिक्त कर्ज बढ़ने का अनुमान है। पहले से ही अमेरिका का कुल फेडरल डेट $36 ट्रिलियन से ऊपर जा चुका है। ये आर्थिक अस्थिरता निवेशकों के लिए चिंता का बड़ा कारण बन रही है। जब किसी देश की फाइनेंशियल स्ट्रैटेजी में स्पष्टता नहीं होती, तब ग्लोबल फंड्स ऐसे बाजारों से निकलने लगते हैं।

विशेषज्ञों की राय क्या कहती है

Wealthspire Advisors के Oliver Pursche का कहना है कि 25% iPhone टैरिफ एक बड़ा झटका था क्योंकि निवेशकों को इसकी छूट की उम्मीद थी। वहीं, Harris Financial के Jamie Cox मानते हैं कि बाजार टैरिफ की घोषणाओं पर काफी संवेदनशील होता है और ऐसी खबरें तुरंत रिएक्शन पैदा करती हैं। उनका कहना है कि ऐसी घोषणाएं वित्तीय अस्थिरता को और बढ़ाती हैं।

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