बलूचिस्तान में कौन सा धर्म है बहुसंख्यक? जानिए वो बात जो शायद आपको नहीं पता

बलूचिस्तान में इस्लाम बहुसंख्यक धर्म है, लेकिन ज़िकरी समुदाय और हिंदू अल्पसंख्यकों की उपस्थिति इस क्षेत्र को धार्मिक रूप से विविध और सहनशील बनाती है। श्री हिंगलाज माता मंदिर जैसे स्थल इस विविधता को और गहराई देते हैं। यह लेख बताता है कि कैसे बलूचिस्तान में धार्मिक सह-अस्तित्व समाज की नींव को मजबूत बनाता है।

By GyanOK

बलूचिस्तान में कौन सा धर्म है बहुसंख्यक? जानिए वो बात जो शायद आपको नहीं पता
बलूचिस्तान

बलूचिस्तान में इस्लाम सबसे ज़्यादा माना जाने वाला धर्म है। यहाँ की लगभग 99% आबादी मुस्लिम है। यह क्षेत्र पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्से में स्थित है और अफगानिस्तान तथा ईरान से सटा हुआ है। बलूचिस्तान के मुस्लिम समुदाय में ज़्यादातर लोग सुन्नी इस्लाम को मानते हैं। ये लोग हनफ़ी मत के अनुयायी हैं, जो इस्लाम के चार प्रमुख स्कूलों में से एक है। सुन्नियों में भी दो बड़े उप-समूह पाए जाते हैं: देओबंदी और बरेलवी। इन दोनों की धार्मिक मान्यताएँ और पूजा-पद्धति थोड़ी अलग होती हैं, लेकिन दोनों इस्लाम के सिद्धांतों को मानते हैं।

इसके अलावा, बलूचिस्तान में एक छोटा लेकिन अहम शिया मुस्लिम समुदाय भी मौजूद है। शिया और सुन्नी समुदायों के बीच कुछ धार्मिक अंतर होते हैं, लेकिन दोनों मिलकर यहाँ की धार्मिक तस्वीर को और समृद्ध बनाते हैं।

ज़िकरी समुदाय: एक खास धार्मिक पहचान

बलूचिस्तान की धार्मिक विविधता को और गहराई देती है एक विशेष समुदाय जिसे ज़िकरी कहा जाता है। ज़िकरी एक ऐसा धार्मिक संप्रदाय है जो सुन्नी इस्लाम से जुड़ा है, लेकिन उनकी धार्मिक परंपराएँ और पूजा की विधियाँ मुख्यधारा इस्लाम से अलग हैं। ज़िकरी लोग पारंपरिक नमाज़ की जगह एक खास तरह की ध्यान विधि जिसे ‘ज़िक्र’ कहा जाता है—का पालन करते हैं।

2020 के अनुमान के अनुसार, बलूचिस्तान में लगभग 8 लाख लोग ज़िकरी धर्म को मानते हैं। यह समुदाय मुख्य रूप से बलूचिस्तान के मकरान क्षेत्र में निवास करता है। ज़िकरी लोगों का सबसे पवित्र स्थान कोह-ए-मुराद है, जहाँ वे हर साल बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं।

ज़िकरी समुदाय को कई बार अलग नज़र से देखा जाता है, लेकिन बलूचिस्तान में उनका योगदान धार्मिक विविधता और सांस्कृतिक सहिष्णुता को बढ़ाता है।

हिंदू समुदाय और श्री हिंगलाज माता मंदिर

बलूचिस्तान में हिंदू धर्म अल्पसंख्यक है, लेकिन इसकी उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ की कुल आबादी का केवल 0.41% हिस्सा हिंदू है, लेकिन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से उनकी पहचान बहुत गहरी है। बलूचिस्तान का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र हिंदू तीर्थ है श्री हिंगलाज माता मंदिर।

यह मंदिर पाकिस्तान के लासबेला जिले में स्थित है और यह भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के हिंदुओं के लिए बहुत बड़ा आस्था का केंद्र है। हर साल हजारों हिंदू तीर्थयात्री इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं, खासकर हिंगलाज यात्रा के दौरान।

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि बलूचिस्तान में धार्मिक सहिष्णुता और भाईचारे का प्रतीक भी है। यहाँ स्थानीय मुस्लिम समुदाय श्रद्धालुओं की मदद करता है, जो आपसी सहयोग और आदर का सुंदर उदाहरण है।

धार्मिक सह-अस्तित्व और समाज

बलूचिस्तान की खास बात यह है कि यहाँ कई धार्मिक समुदाय मिल-जुल कर रहते हैं। भले ही यहाँ मुस्लिम आबादी सबसे ज़्यादा है, लेकिन ज़िकरी और हिंदू जैसे अल्पसंख्यक समुदायों को भी एक खास पहचान और सम्मान मिला है। धार्मिक विविधता यहाँ केवल सांख्यिकीय तथ्य नहीं, बल्कि यह समाज के हर स्तर पर नज़र आती है—चाहे वो पूजा-पद्धति हो, त्यौहार हों या रोज़मर्रा की जिंदगी।

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