
ऋषिकेश, जिसे योग नगरी के रूप में पहचाना जाता है, आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम है। इसी नगरी में स्थित है गोवा बीच, जो राम झूला के समीप गंगा किनारे बसा हुआ एक विशेष स्थल है। “गोवा बीच” नाम सुनते ही जैसे मन में समुद्र तट की छवि उभरती है, वैसे ही यह स्थान भी विदेशी वाइब, शांति और रमणीय दृश्यों के कारण काफी लोकप्रिय है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह सवाल लोगों के मन में गूंजता रहा है – क्या गोवा बीच सिर्फ विदेशी सैलानियों के लिए आरक्षित है? क्या भारतीयों को यहां आने में किसी तरह की रोक है?
विदेशी वाइब के कारण उपजा भ्रम
गोवा बीच का माहौल कुछ इस तरह का है कि यह सचमुच गोवा के बीचों की याद दिलाता है। यहां पर प्राचीन समय से ही विदेशी पर्यटक योग, ध्यान और सूर्य स्नान करते हुए देखे जाते रहे हैं। यह दृश्य इतना प्रचलित हो गया था कि स्थानीय लोग और भारतीय पर्यटक खुद को यहां बाहरी या अवांछित महसूस करने लगे। धीरे-धीरे यह धारणा बन गई कि गोवा बीच केवल विदेशियों के लिए है।
अफवाहों का दौर और उनकी सच्चाई
कुछ वर्षों पहले सोशल मीडिया और यात्रा ब्लॉग्स पर यह गलतफहमी तेजी से फैलने लगी कि गोवा बीच पर भारतीयों का स्वागत नहीं किया जाता। कुछ पोस्ट्स में यहां तक दावा किया गया कि भारतीयों को प्रवेश से रोका जाता है या उन्हें नजरअंदाज किया जाता है। लेकिन यह पूरी तरह से अफवाह थी। गोवा बीच न तो किसी निजी संस्था के अधीन है और न ही यहां कोई प्रशासनिक रोक है। यह एक सार्वजनिक स्थल है, जहां किसी भी नागरिक को जाने से रोका नहीं जा सकता।
अब भारतीय पर्यटकों की पसंदीदा जगह
हालिया वर्षों में गोवा बीच ने भारतीय सैलानियों के बीच भी अपनी विशेष जगह बना ली है। अब यहां बड़ी संख्या में भारतीय परिवार, युवा ग्रुप्स, कंटेंट क्रिएटर्स और योग प्रशिक्षु नियमित रूप से आते हैं। रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy पर आधारित जीवनशैली अपनाने वाले लोग भी यहां ध्यान और आत्मिक शांति के लिए जुटते हैं। इस बीच पर अब इंस्टाग्राम रील्स, योग सेशन्स और पिकनिक स्पॉट के रूप में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। हालांकि, यहां के शांत और अनुशासित माहौल को बनाए रखना हर आगंतुक की जिम्मेदारी बनती है।
अंतरराष्ट्रीय अनुशासन बनाम भारतीय अनदेखी
विदेशी सैलानियों का व्यवहार, जिसमें शांति बनाए रखना, स्वच्छता का ध्यान रखना और संयमित आचरण शामिल है, अक्सर एक मिसाल के रूप में देखा जाता है। शायद यही वजह रही कि यह बीच लंबे समय तक उनके अधिक अनुकूल महसूस हुआ। लेकिन अब, भारतीय पर्यटक भी इस संस्कृति को अपना रहे हैं और वातावरण के अनुरूप व्यवहार कर रहे हैं। इस बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि गोवा बीच अब सिर्फ विदेशी अनुभव नहीं, बल्कि वैश्विक और भारतीय दोनों संस्कृतियों का संगम बन चुका है।