मुलायम सिंह यादव की कोठी अखिलेश यादव को करनी होगी खाली, प्रशासन ने दिए आदेश

मुरादाबाद में मुलायम सिंह यादव के नाम पर 250 रुपए किराये में मिली कोठी का आवंटन रद्द कर दिया गया है। एक माह में कोठी खाली करने के आदेश जिला प्रशासन ने दिए है,

By GyanOK

समाजवादी पार्टी को मुरादाबाद के सिविल लाइंस इलाके में स्थित सरकारी कोठी का आवंटन अब रद्द कर दिया गया है. ये कोठी 1994 में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नाम पर किराए पर दी गई थी, और अब जिला प्रशासन ने इसे खाली करने का आदेश दिया है.

मुलायम सिंह यादव की कोठी अखिलेश यादव को करनी होगी खाली, प्रशासन ने दिए आदेश
मुलायम सिंह यादव की कोठी अखिलेश यादव को करनी होगी खाली, प्रशासन ने दिए आदेश

सिविल लाइंस में स्थित कोठी

ये कोठी मुरादाबाद के पॉश इलाके सिविल लाइंस में स्थित है, जहाँ कई सरकारी संस्थान, जैसे पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज, मौजूद हैं. लगभग 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली इस कोठी में वर्तमान में समाजवादी पार्टी का जिला कार्यालय चल रहा है. ये संपत्ति राज्य सरकार की है और राजस्व अभिलेखों में सरकारी संपत्ति के रूप में दर्ज है.

किराया था महज 250 रुपए प्रति माह

मुलायम सिंह यादव के समय में 1994 में ये कोठी केवल 250 रुपए प्रति माह के किराए पर आवंटित की गई थी. हालांकि, अब जिला प्रशासन ने इसे खाली करने का आदेश जारी कर दिया है.

नोटिस भेजा गया, 30 दिनों का समय

एडीएम (वित्त) ने समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष को नोटिस भेजते हुए ये निर्देश दिया है कि एक माह के भीतर कोठी खाली कर दी जाए. यदि तय समय में कोठी नहीं खाली की जाती, तो प्रशासन कानूनी कार्रवाई करेगा.

नामांतरण न होने पर रद्द हुआ आवंटन

प्रशासन के अनुसार मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद इस कोठी का नामांतरण नहीं कराया गया. सरकारी नियमों के अनुसार, किसी सरकारी संपत्ति के मूल लाभार्थी की मृत्यु के बाद उसका नामांतरण आवश्यक होता है. चूंकि ये प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, इसलिए प्रशासन ने कोठी का आवंटन रद्द कर दिया.

राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज

इस प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं. कुछ लोग इसे एक सामान्य प्रशासनिक निर्णय मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक पक्ष से देख रहे हैं. प्रशासन का कहना है कि ये फैसला पूरी तरह से नियमों के तहत लिया गया है.

सरकारी काम के लिए होगा इस्तेमाल

जिलाधिकारी अनुज सिंह के अनुसार ये निर्णय राज्य सरकार की प्राथमिकताओं के कारण लिया गया है. सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और विभिन्न विभागों की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए, खासकर अधिकारियों के आवास के विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता बढ़ गई है, इसी कारण से ये कोठी वापस ली जा रही है.

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