UP School Guidelines: बिना बताए स्कूल से गायब रहने पर अब होगी सख्ती, 30 दिन से ज्यादा छुट्टी पर कार्रवाई तय

यूपी के परिषदीय स्कूलों में अब गैरहाजिर रहने वाले छात्रों की खैर नहीं! बिना बताए 30 दिन से ज्यादा छुट्टी लेने पर माना जाएगा ड्रॉपआउट, अभिभावकों की होगी काउंसलिंग और होगी खास निगरानी। 3 दिन की छुट्टी पर पहुंचेगी बुलावा टोली, 6 दिन से ज्यादा पर प्रिंसिपल खुद घर आएंगे।

By GyanOK

उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई को लेकर लापरवाही अब छात्रों को भारी पड़ सकती है। शासन ने स्कूल से बिना बताए अनुपस्थित रहने वाले छात्रों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा गया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित करने और ड्रॉपआउट दर घटाने के लिए नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा।

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UP School Guidelines: बिना बताए स्कूल से गायब रहने पर अब होगी सख्ती, 30 दिन से ज्यादा छुट्टी पर कार्रवाई तय
UP School Guidelines:

बिना बताए लगातार छुट्टी पर अलर्ट मोड

नई गाइडलाइन के अनुसार, कोई भी छात्र यदि बिना वैध कारण के लगातार 3 दिन स्कूल नहीं आता है तो ‘बुलावा टोली’ उसके घर जाएगी और अनुपस्थिति का कारण पूछेगी। यदि छात्र 6 दिन या उससे अधिक स्कूल से गायब रहता है तो प्रधानाध्यापक को स्वयं उसके घर जाकर संपर्क करना होगा और बच्चे के स्कूल लौटने तक नियमित फॉलोअप भी करना होगा।

छात्रों की निगरानी के लिए नया ढांचा

गाइडलाइन के अनुसार, यदि कोई छात्र:

  • 1 महीने में 6 दिन,
  • 3 महीनों में 10 दिन,
  • 6 महीनों में 15 दिन या
  • 9 महीनों में 21 दिन से अधिक अनुपस्थित रहता है
    तो उसे “अति संभावित ड्रॉपआउट” की श्रेणी में रखा जाएगा।

यदि वह पूरे सत्र में 30 दिन से अधिक गैरहाजिर रहता है और फाइनल परीक्षा में 35% से कम अंक लाता है, तो उसे ड्रॉपआउट माना जाएगा। ऐसे छात्रों के लिए विशेष प्रशिक्षण और सहयोग कार्यक्रम चलाए जाएंगे।

6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए विशेष प्रावधान

शासन ने 6 से 14 वर्ष की आयु के उन बच्चों को “आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रन” की श्रेणी में रखा है:

  • जो कभी स्कूल में नामांकित नहीं हुए, या
  • लगातार 30 दिन से अधिक अनुपस्थित रहे, और
  • परीक्षा में 35% से कम अंक लाए।

इन बच्चों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए अभिभावकों की काउंसलिंग, विशेष कक्षाएं, और समय-समय पर निगरानी जैसे उपाय किए जाएंगे।

पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में होगी जवाबदेही तय

गाइडलाइन के तहत, बच्चों की अनुपस्थिति पर स्कूलों में नियमित पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में चर्चा होगी। ऐसे छात्रों के अभिभावकों को बुलाकर काउंसलिंग की जाएगी। लगातार गैरहाजिर छात्रों को ट्रैक करने के लिए स्कूलों को रिकॉर्ड मेंटेन करना अनिवार्य किया गया है।

उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल स्कूल ड्रॉपआउट की बढ़ती समस्या पर लगाम कसने के लिए है। अब स्कूल में गैरहाजिरी को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। छात्रों और अभिभावकों दोनों की जवाबदेही तय होगी। यह कदम शिक्षा में सुधार और निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए बेहद जरूरी साबित हो सकता है।

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