लखनऊ में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत चयनित गरीब छात्रों को प्रवेश न देने वाले 80 निजी स्कूलों की अब मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) की ओर से इन स्कूलों को एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) रद्द करने की तैयारी की जा रही है। सभी संबंधित स्कूलों को नाम सहित नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब देने को कहा गया है। जवाब न मिलने या संतोषजनक कारण न बताने पर मान्यता समाप्त करने की कार्यवाही शुरू की जाएगी।

RTE के तहत नहीं दिए दाखिले, अब होगी कानूनी कार्रवाई
बीएसए कार्यालय से जारी नोटिस के अनुसार, सत्र 2025-26 में चयनित छात्रों को आरटीई के तहत 80 स्कूलों ने प्रवेश नहीं दिया। इनमें से 35 स्कूल ऐसे भी हैं, जो जिलाधिकारी की बैठक में बुलावे के बावजूद शामिल नहीं हुए। बीएसए राम प्रवेश ने बताया कि इन स्कूलों से प्रवेश न देने के कारणों का साक्ष्य सहित जवाब तीन दिन के भीतर मांगा गया है।
अगर निर्धारित समय में जवाब नहीं दिया गया या उत्तर संतोषजनक नहीं रहा, तो संबंधित स्कूलों पर आरटीई एक्ट 2009 के उल्लंघन, निशुल्क शिक्षा के अधिकार के हनन और शासकीय कार्य में बाधा जैसे गंभीर आरोपों के तहत विधिक कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त स्कूलों की एनओसी निरस्त कर मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी।
हज़ारों बच्चों को मिला दाखिला
गौरतलब है कि आरटीई के तहत चयनित बच्चों के अधिकारों को लेकर लगातार मुहिम चलाई जा रही थी। उसी का परिणाम है कि इस वर्ष करीब 12,000 गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला मिल पाया। हालांकि कुल चयनित बच्चों की संख्या 18,000 रही, जिनमें से लगभग 3,000 अभिभावकों ने निजी स्कूलों की मनमानी के चलते बच्चों को दाखिला नहीं दिलाया।
किन स्कूलों को मिला नोटिस?
नोटिस प्राप्त करने वाले स्कूलों में लखनऊ के कई नामी स्कूल शामिल हैं। इनमें सेंट एंथनी स्कूल पारा, एमजी कॉन्वेंट कानपुर रोड, सेंट क्रिस्ट स्कूल गीतापल्ली, डीपीएस एल्डिको, एमिटी इंटरनेशनल स्कूल, जयपुरिया स्कूल (कई कैंपस), एलपीएस (कई शाखाएं), सीएमएस के लगभग सभी बड़े कैंपस शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त दर्जनों स्थानीय स्कूलों जैसे बाल विद्या मंदिर, ब्राइटलैंड, कैटिल कान्वेंट, संस्कार पब्लिक, रेडियंट पब्लिक, गुरुकुल एकेडमी, श्री विनायक कान्वेंट, न्यू पब्लिक इंटर कॉलेज आदि को भी नोटिस जारी किया गया है।
BSA का स्पष्ट निर्देश: नहीं मिलेगा और मौका
बीएसए राम प्रवेश ने स्पष्ट किया है कि जिन स्कूलों ने आरटीई के नियमों की अनदेखी की है, उन्हें अब अंतिम नोटिस दिया गया है। उन्होंने कहा:
“जो स्कूल आरटीई के तहत बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं, उनके विरुद्ध अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। तीन दिनों में जवाब नहीं देने वालों के खिलाफ विधिक कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।”
क्या है RTE और क्यों जरूरी है इसका पालन?
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 के तहत निजी स्कूलों को अपनी कुल सीटों का 25% गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करना होता है। यह एक संवैधानिक अधिकार है, जिसका उल्लंघन करने पर स्कूलों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही, मान्यता रद्द और जुर्माना जैसी सख्त कार्रवाइयां की जा सकती हैं।