उत्तर प्रदेश के शिक्षकों के लिए खुशखबरी आई है, क्योंकि अब वे जिले के भीतर अपनी पोस्टिंग में बदलाव कर सकेंगे. बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने आदेश जारी किया है कि यूपी के सभी बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) 30 जून को शिक्षकों के तबादले की लिस्ट जारी करेंगे.

इस प्रक्रिया के तहत 23 जून तक ऑनलाइन लिस्ट को अपडेट किया जाएगा, जिसमें छात्र-शिक्षक अनुपात को ध्यान में रखते हुए उन स्कूलों को चिन्हित किया जाएगा जहां शिक्षकों की कमी है और जिन स्कूलों में ज्यादा शिक्षक हैं. इसके बाद, 24 से 26 जून तक शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे, और इन आवेदन की छायाप्रति 27 जून तक बीएसए कार्यालय में जमा कर दी जाएगी.
स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन सत्यापन
28 जून तक बीएसए स्तर पर ऑनलाइन सत्यापन होगा और फिर 30 जून को एनआईसी लखनऊ के द्वारा विकसित सॉफ़्टवेयर के माध्यम से स्थानांतरण सूची को सार्वजनिक किया जाएगा. यह कदम शिक्षकों को एक लंबे समय बाद जिले के भीतर ओपन ट्रांसफर का मौका दे रहा है.
राजकीय विद्यालयों में अनियमितता की शिकायतें
जहां एक ओर शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर यह एक अहम कदम माना जा रहा है, वहीं कुछ स्थानों पर अनियमितताओं की शिकायतें भी सामने आई हैं. हाल ही में 14 जून को जारी राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों की सूची में कुछ ऐसे मामलों का खुलासा हुआ है, जहां उन स्कूलों में भी शिक्षकों का ट्रांसफर कर दिया गया है, जहां शिक्षकों की आवश्यकता नहीं थी.
यह स्थिति ऑनलाइन पोर्टल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, क्योंकि कई स्कूलों में शिक्षकों की रिक्ति पोर्टल पर प्रदर्शित नहीं की गई थी, फिर भी स्थानांतरण आदेश जारी कर दिए गए.
मनमानी के मामले: शिक्षक-शिक्षिकाओं का विरोध
कुछ मामलों में तो नियमों का खुला उल्लंघन किया गया. उदाहरण के तौर पर, राजकीय हाईस्कूल भौली मीरजापुर में अंग्रेजी के सहायक अध्यापक का तबादला उस स्कूल में कर दिया गया, जहां पहले से पांच शिक्षक कार्यरत थे और वहां कोई रिक्ति भी नहीं थी. इसी तरह, अन्य स्कूलों में भी अनियमित स्थानांतरण किए गए हैं, जिससे शिक्षक समुदाय में गुस्सा बढ़ रहा है.
शिकायतें और उच्च न्यायालय में याचिका
यहां तक कि कुछ शिक्षक अब इस मनमानी के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। शिक्षा निदेशालय में अपर शिक्षा निदेशक को ऐसी शिकायतें मिल चुकी हैं, और मामला अब न्यायालय तक पहुंचने की संभावना है.
जहां एक ओर शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर यह प्रक्रिया एक राहत लेकर आई है, वहीं दूसरी ओर अनियमितताओं और मनमानी के मामलों ने इस पूरे प्रकरण को विवादित बना दिया है.