बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त एक्शन! योगी सरकार ने दी बड़ी चेतावनी

उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल ने मचाया हड़कंप! जनजीवन अस्त-व्यस्त, सरकार का चेतावनी भरा ऐलान – "ड्यूटी छोड़ोगे तो नौकरी भी जाएगी!" कर्मचारियों की पुरानी पेंशन और स्थायीकरण की मांगों के बीच सरकार की सख्ती ने बढ़ाया तनाव। जानिए पूरी कहानी, कौन जीतेगा ये टकराव – कर्मचारी या सरकार? पढ़ें अंदर की पूरी रिपोर्ट

By GyanOK

बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त एक्शन! योगी सरकार ने दी बड़ी चेतावनी
बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त एक्शन! योगी सरकार ने दी बड़ी चेतावनी

उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल (Electricity Employees Strike) ने शासन और जनता दोनों को मुश्किल में डाल दिया है। इस हड़ताल के चलते कई जिलों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई, जिससे आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसी के चलते योगी सरकार (Yogi Government) ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए चेतावनी जारी की है। राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि कार्य में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और जनहित से समझौता किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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हड़ताल की पृष्ठभूमि और कारण

बिजली विभाग के कर्मचारियों की यह हड़ताल विभिन्न मांगों को लेकर की जा रही है, जिसमें प्रमुख हैं नियमितीकरण, पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) की बहाली, संविदा कर्मियों की नौकरी पक्की करने की मांग और वेतन विसंगतियों को दूर करने जैसी समस्याएं। यूनियनों का आरोप है कि कई बार ज्ञापन देने और चर्चा करने के बावजूद सरकार ने इन मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

बिजली आपूर्ति पर असर

हड़ताल के चलते कई शहरों और ग्रामीण इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित रही। इससे न केवल घरेलू उपभोक्ता बल्कि अस्पताल, उद्योग और अन्य सार्वजनिक सेवाएं भी प्रभावित हुईं। Renewable Energy और Smart Grid जैसी परियोजनाओं को भी समय पर संचालन में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

योगी सरकार की सख्ती

योगी आदित्यनाथ सरकार ने बिजली कर्मचारियों की इस अनिश्चितकालीन हड़ताल को ‘जनविरोधी कदम’ बताया है। सरकार का कहना है कि हड़ताल के चलते आम जनता को बिजली की बुनियादी सेवा से वंचित करना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। इस संबंध में सरकार ने सभी जिला अधिकारियों और ऊर्जा विभाग को निर्देश दिए हैं कि वैकल्पिक व्यवस्था तुरंत की जाए और हड़ताल में शामिल कर्मियों की पहचान कर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

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वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी

राज्य सरकार ने हड़ताल से निपटने के लिए कई वैकल्पिक कदम उठाए हैं। इसमें रिटायर्ड इंजीनियरों और टेक्नीशियनों को अस्थाई रूप से सेवा में बुलाया गया है। साथ ही संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं। विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं को समय से सुलझाने के लिए कंट्रोल रूम को सक्रिय किया गया है और हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं।

संविदा कर्मियों पर सरकार का रुख

हड़ताल में बड़ी संख्या में संविदा कर्मचारी भी शामिल हैं। सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर कोई संविदा कर्मचारी कार्य बहिष्कार करता है तो उसकी सेवाएं तुरंत समाप्त की जाएंगी। साथ ही भविष्य में किसी भी संविदा के नवीनीकरण में उसे प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।

यूनियनों की प्रतिक्रिया

बिजली कर्मचारी यूनियनों ने सरकार की कार्रवाई को “तानाशाही रवैया” करार दिया है। यूनियन नेताओं का कहना है कि उनकी मांगें पूरी तरह जायज़ हैं और अगर सरकार बातचीत के रास्ते से हल नहीं निकालती, तो हड़ताल और तेज़ की जाएगी। उनका यह भी कहना है कि सरकार केवल चेतावनी देकर आंदोलन को दबाना चाहती है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

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हाईकोर्ट की भूमिका

हाईकोर्ट ने भी इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए सरकार और यूनियनों को बातचीत के जरिए समाधान निकालने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आवश्यक सेवाओं में हड़ताल की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह सीधे जनता के अधिकारों का उल्लंघन है।

जनता की प्रतिक्रिया

बिजली कटौती से परेशान जनता में सरकार और कर्मचारियों दोनों के प्रति आक्रोश है। लोग सोशल मीडिया पर लगातार अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकाला जाए।

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