उत्तर प्रदेश के संडीला क्षेत्र में औद्योगिक विकास के लिए सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, रैसों, बघुआमऊ, जमसारा व समोधा गांवाें के 900 किसानों की कुल 750 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा. इस कदम का उद्देश्य संडीला क्षेत्र में एक नया औद्योगिक हब बनाना है. जिससे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.

चार गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू
यह कदम औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार के लिए उठाया गया है. पहले भूमि की कमी के कारण उद्योगों के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही थी, लेकिन अब प्रशासन ने किसानों से सहमति पत्र लेकर इस प्रक्रिया को तेज कर दिया है. रैसों, बघुआमऊ, जमसारा और समोधा गांवों के किसानों से जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा. अब तक 75 प्रतिशत किसानों ने अपनी सहमति दे दी है.
मुआवजे को लेकर किसानों और अधिकारियों के बीच तनाव
शुरुआत में किसानों और प्रशासन के बीच मुआवजे की रकम को लेकर असहमति थी. किसानों का कहना था कि मार्केट वैल्यू के अनुसार उनकी जमीन की कीमत करीब एक करोड़ 25 लाख रुपये प्रति बीघा है. वे चाहते थे कि उन्हें सर्किल रेट से ज्यादा मुआवजा मिले. हालांकि, अधिकारियों का कहना था कि प्रत्येक गांव का सर्किल रेट अलग-अलग है और मुआवजा उसी हिसाब से दिया जाएगा. इस मुद्दे पर कई दौर की वार्ता हुई, लेकिन अंत में 900 किसानों ने अपनी सहमति दे दी.
भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सहमति की आवश्यकता
भारत सरकार के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत, किसी भी क्षेत्र से भूमि का अधिग्रहण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक वहां के प्रभावित 70 प्रतिशत किसान अपनी सहमति नहीं दे देते. इस अधिनियम के मुताबिक, अब तक चारों गांवों के करीब 75 प्रतिशत किसानों ने अपनी सहमति दे दी है, जिससे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी आई है.
क्या रहेगी आगे की प्रक्रिया
अब प्रशासन इस सहमति के बाद भूमि अधिग्रहण की अगली प्रक्रिया शुरू करेगा. उपजिलाधिकारी डॉ. अरुणिमा श्रीवास्तव ने बताया कि रैसों, बघुआमऊ, जमसारा व समोधा गांवाें में शिविर लगाकर किसानों से सहमति ली गई है और अब पूरी प्रक्रिया को जल्दी ही आगे बढ़ाया जाएगा।
इस कदम से न केवल संडीला क्षेत्र में औद्योगिक विकास होगा, बल्कि किसानों को भी उचित मुआवजा मिलने की उम्मीद है, जिससे उनका आर्थिक स्तर भी बेहतर हो सकता है।