
राजस्थान में कुछ समय से एक अलग भील प्रदेश बनाने की मांग चल रही है. बांसवाड़ा-डूंगरपुर से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल इलाकों को मिलाकर नए राज्य की मांग उठाई जा रही है. उन्होंने सोशल मिडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि अगर सरकार आदिवासियों का भला चाहती है, तो उनकी मांग को पूरा किया जाएं।
सांसद राजकुमार रोत के अनुसार, आदिवासी समुदाय के अस्तित्व और पहचान के लिए “भील प्रदेश” बनना बहुत जरुरी है. इस मांग को आजादी से ही उठाया जा रहा है, लेकिन यहाँ के लोगों की संस्कृति भाषा, बोली और रीति-रिवाज दूसरे प्रदेशों से अलग हैं. इसलिए अब आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए यह बेहद ज़रूरी है।
शहीदों के सम्मान के लिए मांग जरुरी
भील राज्य की माँग को लेकर गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1913 में 1500 से अधिक आदिवासी मानगढ़ पर शहीद हुए थे।
— Rajkumar Roat (@roat_mla) July 15, 2025
आजादी के बाद भील प्रदेश को चार राज्य में बांटकर इस क्षेत्र की जनता के साथ अन्याय किया। गोविंद गुरु के नेतृत्व में शहीद हुए 1500 से अधिक शहीदों के सम्मान में भील प्रदेश… pic.twitter.com/EUjdNiQYdu
राजकुमार रोत ने पोस्ट करते हुए लिखा कि भील राज्य की मांग को लेकर 1913 में गोविंद गुरु की अगुवाई में 1500 से ज़्यादा आदिवासी मानगढ़ में शहीद हो गए थे. आजादी के बाद भी भील प्रदेश को चार अलग -अलग राज्यों में बाँट दिया गया. अब शहीद हुए 1500 से ज़्यादा आदिवासियों के सम्मान में भील प्रदेश राज्य बनाना ज़रूरी है।
भीलप्रदेश की माँग आजादी के पहले से ही उठती आई है, क्योंकि यहाँ के लोगों की संस्कृति, भाषा, बोली और रीति रिवाज दूसरे प्रदेशों से अलग है और आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को बचाने और उसके सरंक्षण के लिए जरूरी है। #हमारी_मांग_भीलप्रदेश pic.twitter.com/Thf8Fbk6PS
— Rajkumar Roat (@roat_mla) July 15, 2025
भीलप्रदेश की मांग
भील समुदाय अपनी अलग पहचान, आजादी और तरक्की के लिए भीलप्रदेश नाम का एक राज्य बनाने की मांग कर रहे है. इस नए राज्य में चार राज्यों के कुल 49 जिले शामिल करने की बात की जा रही है. जिनमे राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, जालौर, बाड़मेर, पाली, चित्तौड़गढ़, कोटा और बारां ज़िलों के कुछ हिस्से शामिल होंगे। साथ ही मध्यप्रदेश गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों के लगभग 20 पूरे ज़िले और 19 दूसरे ज़िलों के कुछ हिस्से भी इसमें शामिल किए जाएंगे।