MP के किसानों को मिलेगी मेन रोड पर जमीन! प्लॉट के लिए तय हुई तारीख, जानें रजिस्ट्री कब से शुरू

इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर एक 2125 करोड़ रुपये की परियोजना है जो इंदौर को औद्योगिक हब पीथमपुर से जोड़ेगा। इस योजना में किसानों को उनकी जमीन के बदले उसी गांव में 60% तक विकसित भूखंड दिए जाएंगे। रजिस्ट्री प्रक्रिया 15 जुलाई से शुरू होगी और अब तक 100 हेक्टेयर भूमि की सहमति मिल चुकी है। यह प्रोजेक्ट कृषि और औद्योगिक दोनों वर्गों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

By GyanOK

MP के किसानों को मिलेगी मेन रोड पर जमीन! प्लॉट के लिए तय हुई तारीख, जानें रजिस्ट्री कब से शुरू
Indore-Pithampur Economic Corridor

इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर (Indore-Pithampur Economic Corridor) अब जमीन पर उतरने की ओर बढ़ रहा है और इससे जुड़ी तस्वीरें धीरे-धीरे स्पष्ट होती जा रही हैं। मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम (MPIDC) ने साफ कर दिया है कि इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी, उन्हें उसी गांव में विकसित प्लॉट दिए जाएंगे। यह घोषणा न सिर्फ किसानों की चिंता को कम करती है बल्कि उनके लिए एक सकारात्मक अवसर भी खोलती है।

करीब 19.4 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर के बनने से इंदौर शहर को सीधे पीथमपुर के औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ा जाएगा। इससे Logistics और Industrial Movement में तेजी आएगी, जिससे पूरे क्षेत्र की आर्थिक गति को रफ्तार मिलेगी। हाल ही में इस परियोजना की धीमी प्रगति पर कलेक्टर आशीष सिंह ने नाराजगी जताई और अधिकारियों को कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। MPIDC के कार्यकारी संचालक हिमांशु प्रजापति ने बताया कि अब तक लगभग 100 हेक्टेयर जमीन के लिए किसानों की सहमति मिल चुकी है।

किसानों के हित में बड़ा बदलाव

इस परियोजना की सबसे अहम बात यह है कि इसमें किसानों को 60% तक विकसित भूखंड (Developed Plots) दिए जाएंगे। यह भागीदारी अब तक की सबसे बड़ी है क्योंकि पूर्व में इंदौर विकास प्राधिकरण अधिकतम 50% भूखंड ही देता था। सरकार के इस आश्वासन के बाद किसानों में योजना को लेकर विश्वास बढ़ा है और वे जमीन देने को लेकर उत्साहित नजर आ रहे हैं।

किसानों की चिंताएं और समाधान

बैठक में यह बात भी सामने आई कि किसानों के मन में कई शंकाएं हैं। वे जानना चाहते हैं कि उन्हें प्लॉट कहां मिलेगा, रजिस्ट्री कब होगी, और योजना कितने समय में पूरी होगी। किसानों की एक प्रमुख चिंता यह भी है कि अगर प्रोजेक्ट लंबा खिंच गया तो वे खेती से भी वंचित हो सकते हैं। प्रशासन ने माना है कि इन सवालों का समाधान करना ज़रूरी है, जिससे परियोजना को सहयोग मिल सके।

2125 करोड़ की महत्वाकांक्षी योजना

यह इकोनॉमिक कॉरिडोर लगभग 2125 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है और इसके तहत 1290 हेक्टेयर से अधिक भूमि की आवश्यकता होगी। टीही, कन्नड़, भैसलाय, सोनवाय, डेहरी, बागोदा जैसे कई गांव इस योजना में शामिल हैं। MPIDC के मुताबिक, 6 बीघा या उससे अधिक भूमि देने वाले किसानों को मुख्य सड़क पर विकसित प्लॉट मिलेंगे, जबकि छोटी भूमि देने वालों को मुख्य सड़क से सटे अंदरूनी लेकिन अच्छी तरह विकसित इलाकों में भूखंड दिए जाएंगे। 15 जुलाई से रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है और सभी प्रशासनिक तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।

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GyanOK

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