दिल्ली में चला बुलडोजर, 100 से ज्यादा परिवार हुए बेघर, मलबे पर बैठीं महिलाओं की बातें आपको झकझोर देंगी

दिल्ली के तैमूर नगर में DDA की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से 100 से अधिक घर ध्वस्त हो गए। महिलाएं मलबे पर बैठी अपने सामान की रखवाली कर रही हैं। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं—जब तक घर थे तब तक कोई कुछ नहीं बोला, अब अचानक इन्हें अवैध क्यों बताया गया? सरकार से अब बस यही गुहार है कि उन्हें रहने की कोई जगह दे दी जाए।

By GyanOK

दिल्ली में चला बुलडोजर, 100 से ज्यादा परिवार हुए बेघर, मलबे पर बैठीं महिलाओं की बातें आपको झकझोर देंगी
Delhi Evictions

दिल्ली के दक्षिणी इलाके तैमूर नगर में हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद Delhi Development Authority (DDA) द्वारा बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई में करीब 100 से ज्यादा अवैध घरों को ध्वस्त कर दिया गया है। यह इलाका वर्षों से अतिक्रमण के रूप में विकसित होता गया था, लेकिन कोर्ट के निर्देशों के बाद प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए इसे हटाने का फैसला लिया।

तैमूर नगर: मलबे पर बैठी जिंदगियां

बुलडोजर के गुजर जाने के बाद जो दृश्य तैमूर नगर में देखने को मिला, वह किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर कर रख देगा। मलबे के ऊपर बैठी महिलाएं—जिनकी आंखों में आंसू और चेहरे पर गुस्से की लकीरें साफ़ झलक रही थीं—अपना दुख साझा करने को पहले तैयार नहीं थीं। लेकिन थोड़ी देर बाद जब उन्होंने बोलना शुरू किया, तो दर्द और आक्रोश का ऐसा सैलाब निकला, जिसे शब्दों में समेटना आसान नहीं।

इन महिलाओं का कहना था कि उनके घरों में जो सामान था, वह मलबे के नीचे दब गया है। अब वे दिन-रात उसी मलबे पर बैठकर अपने सामान की रखवाली कर रही हैं। एक महिला ने बताया कि “लोग लोहे के गेट और छड़ों को चुराने आ जाते हैं, इसलिए हम यहां बैठकर अपने घर के बचे-खुचे हिस्सों की निगरानी कर रही हैं।”

अचानक अवैध कैसे हो गए हमारे घर?

सबसे बड़ा सवाल जो इन लोगों की जुबान पर था, वह यही था—“हमारे घर अचानक अवैध कैसे हो गए?” तैमूर नगर की इन महिलाओं और परिवारों का कहना है कि वे यहां सालों से रह रहे हैं। किसी ने उन्हें कभी नहीं बताया कि ये मकान गैरकानूनी हैं। “कुछ दिन पहले सरकारी अधिकारी आए, एक कागज़ पकड़ा कर चले गए। फिर कुछ ही दिन बाद कहा गया कि घर खाली कर दो, और आज बुलडोजर आ गया,” एक महिला ने कहा।

उनका गुस्सा मीडिया पर भी था। उनका कहना था कि मीडिया सिर्फ दिखाने के लिए सवाल पूछता है, लेकिन उनकी सच्ची बातें बाहर नहीं आतीं। इसीलिए वे अब कैमरों और माइक से दूर रहना चाहते हैं।

रहने की जगह तो दो सरकार!

इन उजड़े हुए परिवारों की एकमात्र मांग अब यही है कि उन्हें रहने के लिए कहीं एक छोटी-सी जगह दे दी जाए। वे न तो कोर्ट के आदेशों को चुनौती दे रहे हैं और न ही कानून से टकराना चाहते हैं। उनका बस यही कहना है कि जब उन्हें हटाया गया है तो कम से कम सरकार उन्हें कहीं बसाने की भी व्यवस्था करे। “हम सड़क पर नहीं रह सकते, हमारे बच्चे हैं, बुजुर्ग हैं,” एक बुजुर्ग महिला ने रोते हुए कहा।

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GyanOK

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