
रक्षाबंधन भाई -बहन का अटूट प्रेम का त्योहार है. हिंदू धर्म में इस त्योहार को लेकर कई नियम और मान्यताएं हैं, जैसे कि राखी बांधने की सही विधि और भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए. एक मान्यता यह भी है कि रक्षाबंधन के दिन भाई को बहन के घर नहीं जाना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करना सही नहीं माना जाता है.
रक्षाबंधन से जुड़ी कहानी
एक बार दानव राजा बलि ने अपनी भक्ति से भगवान विष्णु को खुश कर लिया था और उनसे अमर होने का वरदान पा लिया था. जिसके बाद सभी देवी-देवता परेशान हो गए, क्योंकि उन्हें डर था कि राजा बलि इस वरदान का गलत उपयोग न करें. इसके बाद सभी देवताओं ने अपनी चिंता भगवान विष्णु को बताई.
विष्णु ने राजा बली के घमंड को तोड़ने के लिए वामन अवतार लिया. उन्होंने राजा बली से तीन पग जमीन दान में मांगी. राजा बलि ने उनकी बात मान ली, फिर उसके बाद भगवान ने आपका आकार बड़ा कर दिया. राजा बलि ने अपने पहले पग से स्वर्ग को और दूसरे पग से पृथ्वी को नाप लिया. तीसरा पग रखने के लिए जब कोई जगह नहीं बची, तो राजा बली ने अपना सिर वामन भगवान के सामने झुका दिया.
माता लक्ष्मी ने वापिस मांगा अपना पति
भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी. राजा बलि समझ गए की यह कोई वामन नहीं बल्कि भगवान विष्णु है, तो उन्होंने तीसरा पग रखने के लिए अपना शरीर समर्पित कर दिया. बलि के समर्पण को देकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और उनके कहने पर स्वयं भी पाताल लोक में रहने लगे. जब माता लक्ष्य लक्ष्मी को यह बात पता चली, तो वह चिंतित हो गए.
विष्णु को वापिस लाने के लिए माता गरीब स्त्री का रूप धारण करके पाताल लोक चली गई और राजा बलि को राखी बांधकर अपना भाई बना दिया. राजा बलि ने माता से उनकी इच्छा मांगी, तो माता ने उनसे अपने पति भगवान विष्णु को वापस मांगा. राजा बलि ने अपना वचन निभाते हुए भगवान विष्णु को वैकुंठ वापिस कर दिया. तभी से यह माना जाता है कि रक्षाबंधन के दिन बहन को भाई के घर जाकर राखी बांधनी चाहिए.