
अक्सर ज्यादातर लोग पैसों की जरूरत पड़ने पर बैंक से लोन लेते है. लेकिन क्या आपको पता है कि जब आप लोन लेते हैं, तो बैंक आपसे एक ‘ब्लैंक चेक’ मांगता है. इस ब्लॉक चेक में सिर्फ आपके साइन होते हैं और बाकी की डिटेल्स नहीं होती है. कई लोग बिना सोचे -समझे ये चेक से देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हो इसे देना सही होता है या नहीं. आइए जानते है बैंक लोन देते समय ब्लैंक चेक क्यों लेते है.
क्या होता है Blank Cheque?
ब्लॉक चेक उसे कहते है, जिस पर सिर्फ खाताधारक के साइन होते हैं. इसमें पैसे लेने वाले व्यक्ति का नाम, तारीख और राशि जैसी कोई भी जानकारी नहीं लिखी होती है. चेक पूरी तरह से खाली होता है ताकि जरूरत के समय जानकारी भर सकें.
बैंक ब्लैंक चेक क्यों मांगते है ?
लोन लेते समय बैंक हमसे ब्लॉक चेक अपनी सुरक्षा के लिए मांगता है. ऐसा इसलिए किया जाता है अगर आप समय पर अपने लोन की EMI जमा नहीं कर पाते हैं, तो वह बकाया पैसों की वसूली इस चेक से कर सकें.
हर बैंक में ब्लैंक चेक देना अनिवार्य है ?
अब कई लोगों के मन में सवाल उठेगा कि लोन लेने के लिए खाली चेक देना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा नहीं है. कानूनी रूप से पर्सनल लोन के लिए खाली चेक देना जरूरी नहीं है. आमतौर पर कुछ बैंक और लोन कंपनियां अपनी पॉलिसी के तहत खाली चेक लेते है, लेकिन आज के समय में ज्यादातर लोन की EMI ECS या NACH (ऑटो-डेबिट) के माध्यम से अपनेआप कट जाती है.