क्यों नहीं पसंद आते बहू को सास-ससुर? जानिए वो 5 बातें जो बना देती हैं इन-लॉज़ को ‘विलेन’

हर शादी के बाद शुरू होती है एक नई कहानी, लेकिन कई बार सास-ससुर और बहू के रिश्ते में क्यों आ जाती है कड़वाहट? क्या वजह है कि बहू को अपने इन-लॉज़ से शिकायत होने लगती है? जानिए वो 5 बड़े कारण जो बना देते हैं इन रिश्तों को संघर्ष का मैदान... पढ़िए पूरी रिपोर्ट

By GyanOK

क्यों नहीं पसंद आते बहू को सास-ससुर? जानिए वो 5 बातें जो बना देती हैं इन-लॉज़ को 'विलेन'
क्यों नहीं पसंद आते बहू को सास-ससुर? जानिए वो 5 बातें जो बना देती हैं इन-लॉज़ को ‘विलेन’

भारतीय परिवारों में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्यों नहीं पसंद आते बहू को सास-ससुर? शादी के बाद जब एक लड़की नए घर में कदम रखती है, तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है अपने नए रिश्तों को समझना और अपनाना। वहीं, सास-ससुर के लिए भी यह एक बदलाव का समय होता है, जिसमें उन्हें अपनी दिनचर्या और सोच को बहू के साथ सामंजस्य बिठाकर आगे बढ़ाना होता है। लेकिन इस बीच कई बार रिश्तों में तनाव, गलतफहमियां और भावनात्मक दूरी आ जाती है, जो सास-ससुर को बहू की नजरों में ‘विलेन’ बना देती है।

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नियंत्रण की भावना और आज़ादी की चाह

बहू को जब यह महसूस होता है कि सास-ससुर हर छोटी-बड़ी बात में हस्तक्षेप करते हैं, तो वह असहज हो जाती है। आधुनिक बहुएं अपनी स्वतंत्रता को महत्व देती हैं और चाहती हैं कि उन्हें निर्णय लेने की आज़ादी मिले, चाहे वह खाना पकाने का तरीका हो, घर का प्रबंधन हो या बच्चों की परवरिश से जुड़ा कोई निर्णय। वहीं सास-ससुर कई बार अपने अनुभव के आधार पर बहू पर अपनी सोच थोपने की कोशिश करते हैं, जिससे टकराव उत्पन्न होता है।

तुलना की मानसिकता

अक्सर सास-ससुर अपनी बहू की तुलना दूसरों से करते हैं—चाहे वह उनकी दूसरी बहू हो या पड़ोस की कोई लड़की। “वो तो ऐसा करती है”, “उसने तो नौकरी के साथ घर भी संभाला” जैसी बातें बहू को मानसिक रूप से आहत करती हैं। यह तुलना उसे यह महसूस कराती है कि वह कभी भी सास-ससुर की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकती।

निजता का अभाव

विवाह के बाद हर जोड़े को कुछ व्यक्तिगत समय और स्पेस की आवश्यकता होती है। जब सास-ससुर हर वक्त उनके निजी जीवन में हस्तक्षेप करते हैं, तो बहू को यह अत्यधिक नियंत्रित और असहज कर देता है। खासकर जब पति अपनी पत्नी की बजाय माता-पिता की तरफ झुकाव दिखाता है, तो बहू के भीतर उपेक्षा और अकेलेपन की भावना गहराने लगती है।

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आर्थिक निर्भरता और अधिकारों का टकराव

वर्तमान समय में जब कई बहुएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं, तो वे घरेलू निर्णयों में अपनी भागीदारी चाहती हैं। लेकिन अगर सास-ससुर यह मान लें कि चूंकि उन्होंने घर बनाया है या कमाई की है, इसलिए हर फैसला वही लेंगे, तो इससे बहू को उपेक्षित महसूस होता है। वह स्वयं को परिवार का सदस्य नहीं बल्कि केवल ‘बहू’ महसूस करने लगती है।

बदलती सामाजिक संरचना और पीढ़ियों का फर्क

समय के साथ सामाजिक सोच और जीवनशैली में बड़ा परिवर्तन आया है। जहां पुरानी पीढ़ी पारंपरिक मूल्यों को प्राथमिकता देती है, वहीं नई पीढ़ी आधुनिक सोच और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अहमियत देती है। यह पीढ़ियों का अंतर (Generation Gap) कई बार संवादहीनता और आपसी समझ की कमी पैदा करता है, जिससे रिश्ते प्रभावित होते हैं।

समाधान की राह

इन सब कारणों के बावजूद, अगर दोनों पक्ष—सास-ससुर और बहू—थोड़ी समझदारी, संवाद और सहिष्णुता दिखाएं, तो यह संबंध बहुत सुंदर और सहयोगी बन सकता है। दोनों को एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझने और सम्मान देने की जरूरत है। रिश्ते में खुलापन, संवाद और भावनात्मक सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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