
आज के समय में सेना में महिलाओं की भागीदारी-Participation of Women in Army लगातार बढ़ रही है। पहले ऐसा माना जाता था कि सेना और युद्ध के काम सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं। लेकिन अब महिलाएं भी पुरुषों की तरह फौज में शामिल होकर देश की रक्षा कर रही हैं। भारत, इजरायल, और यहां तक कि उत्तर कोरिया जैसे देशों में भी महिलाएं बड़ी संख्या में सेना में शामिल हो रही हैं।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उत्तर कोरिया में हर 100 सैनिकों में से करीब 40 महिलाएं होती हैं। यह दुनिया के उन देशों में से एक है जहां महिला सैनिकों की संख्या बहुत ज्यादा है। इसके बाद इजरायल आता है जहां सेना में महिलाएं बहुत सक्रिय हैं। भारत में भी अब महिलाएं थलसेना, वायुसेना और नौसेना में बराबरी से सेवा दे रही हैं। लेकिन आज हम बात करेंगे उस खास महिला सेना की, जिसे दुनिया की सबसे खतरनाक महिला फोर्स माना जाता है—नार्वे की जेगर्ट्रोप्पेन (Jegertroppen)।
जेगर्ट्रोप्पेन क्या है?
जेगर्ट्रोप्पेन, जिसे हंटर ट्रूप भी कहा जाता है, नार्वे की एक ऑल-फीमेल स्पेशल फोर्स यूनिट है। इसका मतलब है कि इस यूनिट में सिर्फ महिलाएं होती हैं। इस यूनिट की शुरुआत साल 2014 में हुई थी और इसका काम है शहरों में सुरक्षा की निगरानी करना, आतंकवाद से निपटना और खतरनाक मिशनों को पूरा करना। यह यूनिट नार्वे की आर्मी यानी Norwegian Armed Forces का हिस्सा है।
इस यूनिट की महिलाएं बहुत कड़े प्रशिक्षण से गुजरती हैं। उन्हें आर्कटिक जैसी बर्फीली जगहों में सर्वाइव करना सिखाया जाता है, साथ ही उन्हें शहरी युद्ध, लंबी दूरी की गश्त और बिना हथियार के लड़ाई यानी Close Combat की भी ट्रेनिंग दी जाती है।
जेगर्ट्रोप्पेन में भर्ती कैसे होती है?
इस खास यूनिट में भर्ती होना बहुत ही मुश्किल है। महिलाएं यहां सीधे नहीं भर्ती हो सकतीं, उन्हें पहले एक 5 हफ्तों की कठिन ट्रेनिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है। इस प्रक्रिया में शामिल हैं:
- नक्शे और दिशा की मदद से रास्ता ढूंढना (Land Navigation)
- हथियार चलाना सीखना (Weapons Training)
- युद्ध में इस्तेमाल होने वाली रणनीति और तकनीक (Combat Tactics)
- प्राथमिक चिकित्सा और घायल सैनिकों की मदद करना (Medical Training)
- शारीरिक फिटनेस की परीक्षा (Physical Fitness)
इन सभी के बाद आखिरी और सबसे मुश्किल हिस्सा आता है जिसे Hell Week कहा जाता है। इस हफ्ते में उम्मीदवारों को शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत कड़ी परीक्षा देनी होती है। इसमें बहुत कम लोग ही पास हो पाते हैं, क्योंकि यह हफ्ता नींद की कमी, थकावट और तनाव से भरा होता है। यहां टीमवर्क, धैर्य और सहनशीलता की परख होती है।
जो महिलाएं इस सभी चरणों को पास कर लेती हैं, वही जेगर्ट्रोप्पेन की सदस्य बनती हैं।
जेगर्ट्रोप्पेन क्यों खास है?
जेगर्ट्रोप्पेन को खास इसलिए माना जाता है क्योंकि:
- यह दुनिया की पहली पूरी तरह महिला स्पेशल फोर्स यूनिट है
- इसके सदस्य खतरनाक और गोपनीय मिशनों में हिस्सा लेते हैं
- ये महिलाएं हर तरह के वातावरण में काम कर सकती हैं—बर्फ से ढके पहाड़ों से लेकर भीड़भाड़ वाले शहरों तक
- इनकी ट्रेनिंग किसी भी पुरुष स्पेशल फोर्स यूनिट से कम नहीं होती
यह यूनिट दिखाती है कि महिलाएं भी फौज में सबसे मुश्किल और जिम्मेदार काम कर सकती हैं।