
विवाह एक बहुत ही पवित्र रिश्ता है, लेकिन कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि दोनों के बीच दरार आ जाती है. ऐसे में दोनों का एक साथ रहना मुश्किल हो जाता है. ऐसी मुश्किल स्थिति से बाहर निकलने के लिए पत्नी अपने पति से तलाक चाहती है, लेकिन कई बार पति तलाक देने को तैयार नहीं रहता. फिर ये स्थिति महिला के लिए बहुत तनावपूर्ण और मुश्किल हो सकती है। हालांकि, भारतीय कानून महिलाओं को ऐसे मामलों में अधिकार प्रदान करता है। घबराने की बजाय, आपको अपने कानूनी अधिकारों को जानना और समझना चाहिए.
अगर पति तलाक देने को तैयार न हो तो क्या करें?
यदि पति आपसी सहमति से तलाक के लिए तैयार नहीं है, तो पत्नी को विवादास्पद तलाक के लिए आवेदन करना होगा। इसके लिए कुछ कानूनी आधार होते हैं, जिन्हें पत्नी को अदालत में साबित करना होता है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत (जो हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और सिखों पर लागू होता है), तलाक के कुछ मुख्य आधार इस प्रकार हैं:
1. क्रूरता
अगर पति आपको शारीरिक या मानसिक रूप जैसे -मारपीट, अपमानजनक भाषा का प्रयोग, मानसिक रूप से प्रताड़ित आदि से परेशान कर रहा है तो ये अपराध क्रूरता में शामिल होता है. लगातार अपमान, भावनात्मक शोषण, या मानसिक तनाव देना भी इस श्रेणी में आता है. इस अपराध के आधार पर पति को तलाक देना ही होगा.
2. परित्याग
यदि पति ने पत्नी को कम से कम दो साल की अवधि के लिए बिना किसी कारण के छोड़ दिया है और साथ रहने से इनकार कर रहा है, तो यह तलाक का आधार बन सकता है।
3. अन्य व्यक्ति से संबंध
यदि शादी के बाद पति का किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाए हैं, तो यह तलाक का एक मज़बूत आधार है।
4. मानसिक बीमारी से पीड़ित
यदि पति किसी ऐसी मानसिक बीमारी से पीड़ित है जो लाइलाज है और जिसके कारण पत्नी के लिए उसके साथ रहना संभव नहीं है।
5. गंभीर रोग
अगर पति को कोई गंभीर यौन रोग है तो इस स्थिति में पत्नी तलाक ले सकती है.
6. धर्म परिवर्तन
अगर पति अपना धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपनाता है ये भी तलाक लेने का आधार है.
7. संन्यास
यदि पति ने दुनिया का त्याग कर दिया है और संन्यासी बन गया है।
8. सात साल से अधिक समय से लापता
यदि पति को सात साल या उससे अधिक समय से लापता है या उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है तो ये भी तलाक का आधार बन सकता है.
तलाक लेने से पहले आपको एक अच्छे वकील की सलाह लेनी होगी. वकील आपको आपकी स्थिति के अनुसार सही कानूनी सलाह देगा और बताएगा कि कौन सा आधार आपके लिए सबसे अच्छा है। वकील की मदद से आपको जिला न्यायालय तलाक की याचिका दाखिल करनी होगी। इस याचिका में आपको तलाक का आधार और संबंधित जानकारी विस्तार से बतानी होगी. इसके बाद आपको अदालत में अपने दावों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश करने होगे. जिसके बाद ही तलाक का फैसला हो पाएगा.