स्त्रीधन क्या है, दहेज से कैसे अलग है और इस पर पति या परिवार का कितना हक है? जानें कानून क्या कहता है

शादी में मिले गहने, कैश या संपत्ति क्या वाकई आपकी हैं? या पति और ससुराल भी दावा कर सकते हैं? ज्यादातर महिलाएं नहीं जानतीं कि ‘स्त्रीधन’ पर उनका पूरा हक होता है—चाहे रिश्ता रहे या नहीं! जानिए कानून क्या कहता है, कौन कर सकता है दावा और अपने अधिकारों को कैसे सुरक्षित रखें।

By GyanOK

शादी के समय महिलाओं को दिए गए उपहार, गहने, संपत्ति, नकदी या अन्य कीमती वस्तुएं अक्सर ‘दहेज’ समझ ली जाती हैं। लेकिन भारतीय कानून में इनका एक विशेष नाम है – स्त्रीधन। यह महज़ कोई सामान नहीं बल्कि एक महिला की कानूनी रूप से सुरक्षित निजी संपत्ति होती है। इसके ऊपर उसका पूर्ण अधिकार होता है और कोई भी – चाहे पति हो, सास-ससुर हों या माता-पिता – इसपर दावा नहीं कर सकते।

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स्त्रीधन क्या है, दहेज से कैसे अलग है और इस पर पति या परिवार का कितना हक है? जानें कानून क्या कहता है
स्त्रीधन क्या है, दहेज से कैसे अलग है

क्या होता है स्त्रीधन?

स्त्रीधन का उल्लेख हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में विस्तार से किया गया है। इसके अनुसार, स्त्रीधन वह संपत्ति है जो महिला को उसके जीवन के अलग-अलग पड़ावों पर उपहार स्वरूप मिलती है। इसमें वह सभी चल और अचल संपत्तियां आती हैं, जो उसे शादी से पहले, शादी के समय, संतान के जन्म पर या विधवा होने की स्थिति में परिजनों, रिश्तेदारों, ससुराल पक्ष या समाज से भेंटस्वरूप मिलती हैं। इसमें नकद राशि, सोने-चांदी के आभूषण, ज़मीन-जायदाद, गाड़ी, बैंक डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड, बीमा पॉलिसियां और अन्य निवेश शामिल हो सकते हैं।

स्त्रीधन एक महिला की व्यक्तिगत संपत्ति होती है। इसका स्वामित्व पूरी तरह महिला के पास होता है, और वह इसे जब चाहे उपयोग, स्थानांतरण, उपहार या दान कर सकती है।

स्त्रीधन और दहेज में क्या अंतर है?

  • स्त्रीधन: महिला को स्वेच्छा से दिया गया उपहार, जिस पर उसका पूर्ण अधिकार होता है।
  • दहेज: मांगकर लिया गया धन या संपत्ति, जो कानूनन अपराध है।
  • दहेज देना और लेना दोनों गैरकानूनी हैं, जबकि स्त्रीधन वैध और सुरक्षित संपत्ति है।

भारतीय समाज में कई बार स्त्रीधन और दहेज को एक ही समझ लिया जाता है, लेकिन कानूनी रूप से इन दोनों में स्पष्ट अंतर है। दहेज वह संपत्ति होती है जो विवाह के समय वर पक्ष की मांग पर दी जाती है। यह एक अपराध है और इसके लिए दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अंतर्गत सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है।

इसके विपरीत, स्त्रीधन एक स्वेच्छा से दिया गया उपहार होता है। इसे देने में किसी प्रकार की मांग या दबाव शामिल नहीं होता। यह महिला के सम्मान, सहयोग और शुभकामनाओं का प्रतीक होता है। इसलिए स्त्रीधन वैध और संरक्षित है, जबकि दहेज एक गैरकानूनी कृत्य है।

स्त्रीधन पर महिला का अधिकार और कानूनी संरक्षण

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 27
  • हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14
  • घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 12

भारतीय कानूनों ने स्त्रीधन को लेकर महिला के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई धाराएं बनाई हैं। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14 के तहत स्त्रीधन महिला की ‘पूर्ण संपत्ति’ मानी जाती है। वहीं, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 27 के अनुसार महिला को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपने विवाह के दौरान प्राप्त सभी उपहारों और संपत्तियों को स्वयं के अधीन रख सके।

यदि कोई महिला विवाह के बाद अलग हो जाती है या तलाक की स्थिति उत्पन्न होती है, तो भी उसके स्त्रीधन पर उसका हक बना रहता है। ससुराल वाले या पति यदि स्त्रीधन को अपने पास रख लेते हैं, तो उन्हें महज ‘ट्रस्टी’ माना जाएगा। जब भी महिला मांग करेगी, उन्हें स्त्रीधन लौटाना होगा।

क्या पति स्त्रीधन का उपयोग कर सकता है?

यह सवाल कई बार उठता है कि क्या पति स्त्रीधन का उपयोग कर सकता है? इसका उत्तर सीमित अनुमति में है। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि पति को आपातकालीन जरूरत हो, तो वह स्त्रीधन का अस्थायी उपयोग कर सकता है, लेकिन उसे बाद में इसे लौटाना होगा। इसका उल्लंघन करने पर पत्नी कोर्ट की मदद ले सकती है।

एक चर्चित मामले में अदालत ने पति को उसकी पत्नी के गहनों की क्षतिपूर्ति के तौर पर ₹25 लाख का भुगतान करने का आदेश दिया था। यह निर्णय यह दर्शाता है कि स्त्रीधन को नुकसान पहुंचाने या वापस न करने पर सख्त कार्रवाई संभव है।

ससुराल और मायके वालों का क्या अधिकार है?

स्त्रीधन पर ना तो ससुराल पक्ष, और ना ही मायका पक्ष का कोई स्थायी अधिकार होता है। यदि महिला ससुराल छोड़ती है, तो वह अपने स्त्रीधन को अपने साथ ले जा सकती है। कोई भी इसमें बाधा नहीं डाल सकता। यदि ऐसा होता है, तो वह महिला पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकती है। इसके अलावा, अगर स्त्रीधन मायके में सुरक्षित रखा गया है, तो माता-पिता को यह सुनिश्चित करना होगा कि आवश्यकता पड़ने पर यह महिला को लौटा दिया जाए।

स्त्रीधन की सुरक्षा कैसे करें?

कानूनी विवादों से बचने के लिए यह जरूरी है कि महिलाएं अपने स्त्रीधन की सूची तैयार करें, जिसमें गहनों, संपत्ति, कैश और निवेश का उल्लेख हो। यह सूची प्रमाण के रूप में काम आ सकती है। स्त्रीधन को ऐसे स्थान पर रखें जहां महिला का सीधा नियंत्रण हो – जैसे कि बैंक लॉकर। दस्तावेजों की फोटोकॉपी, बिल या गवाह भी सुरक्षित रखें।

स्त्रीधन एक महिला का जन्मसिद्ध अधिकार है। यह केवल उसकी संपत्ति होती है और कोई अन्य – चाहे वह पति हो, ससुराल पक्ष हो या मायका – इसपर दावा नहीं कर सकता। इस अधिकार की जानकारी न होना कई बार महिलाओं के लिए नुकसानदायक साबित होता है। इसलिए हर महिला को अपने स्त्रीधन के कानूनी अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए और यदि जरूरत पड़े, तो उसे पाने के लिए कानूनी सहायता लेने में संकोच नहीं करना चाहिए

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